गरीब जनता सरकार की पहली प्राथमिकता :मोदी
नयी दिल्ली, WTO वार्ता में भारत के स्पष्ट एवं कडे रूख की वजह से विकसति देश अचंभे की स्थिति में हैं. विदित हो कि भारत के रूख की वजह से ही WTO वार्ता विफल हो गयी. नयी दिल्ली पहुंचे अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज यहां […]
नयी दिल्ली, WTO वार्ता में भारत के स्पष्ट एवं कडे रूख की वजह से विकसति देश अचंभे की स्थिति में हैं. विदित हो कि भारत के रूख की वजह से ही WTO वार्ता विफल हो गयी. नयी दिल्ली पहुंचे अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष भी अमेरिका एवं विश्व देश की चिंताओं को रखा.
जितनी मजबूती के साथ जॉन केरी ने अपनी बात रखी. उतने ही सशक्त ढंग से भारत अपने रूख पर कायम रहा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूख अपनाते हुए सब्सिडी मुद्दे पर भारत की चिंताओं से अमेरिकी विदेश को अवगत कराया. प्रधानमंत्री के शब्दों में ‘मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता देश का गरीब नागरिक है. हालांकि भारत WTO समझौते का विरोध नहीं कर रहा है लेकिन हमारी मान्यता है कि सिर्फ भारत ही नहीं अन्य गरीब देशों में भी रह रही गरीब जनता का ध्यान रखा जाना चाहिए.
विदित हो कि इंडोनेशिया बाली में मोटे तौर पर विकासशील देशों और भारत के साथ विकसित देश एक मसौदे पर पहुंच गये थे. परंतु नयी दिल्ली के बदले हुए रवैये एवं नयी मोदी सरकार ने अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों की समस्याएं अपने सशक्त रूख से बढा दी हैं.
नयी सरकार का स्पष्ट स्प से मानना है कि भारत जैसे गरीब देश में खाद्य सुरक्षा (फूड सिक्योरिटी) कार्यक्रम के कारण WTO मसौदे पर समझौता करना लगभग नामुमकिन है.
इनसब के बीच मिनिस्टर ऑफ एक्टरनल अफेयर्स के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि अगर WTO के सदस्य भारत के इस प्रस्ताव पर सहमत होते हैं कि यहां के गरीब किसानों को सब्सिडी और फूड सिक्यूरिटी कानून में हस्तक्षेप नहीं होगा तब हम WTO समझौते पर सितंबर में हस्ताक्षर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत इस मामले में अपने रूख पर कायम है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्पष्ट किया है कि गरीब जनता सरकार की पहली जिम्मेवारी है.