महाबलीपुरम में आज होगी दुनिया की दो महाशक्तियों की मुलाकात, आखिर इस शहर को ही क्यों चुना गया?
नयी दिल्लीः आज चेन्नई के महाबलीपुरम में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होगी. जिनपिंग दो दिन की यात्रा पर आज दोपहर दो बजे भारत पहुंचने वाले हैं. दोनों नेता इससे पहले 14 बार मिल चुके हैं. दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी अनौपचारिक मुलाकात होगी. इससे पहले साल 2018 में […]
नयी दिल्लीः आज चेन्नई के महाबलीपुरम में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होगी. जिनपिंग दो दिन की यात्रा पर आज दोपहर दो बजे भारत पहुंचने वाले हैं. दोनों नेता इससे पहले 14 बार मिल चुके हैं. दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी अनौपचारिक मुलाकात होगी. इससे पहले साल 2018 में पीएम मोदी ने वुहान में चीन के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.
मोदी-जिनपिंग मुलाकात के लिए स्थान चयन का फैसला चीन के साथ संयोजन से किया गया है. स्पष्ट मार्गदर्शन था कि राष्ट्रीय राजधानी के बाहर की कोई जगह तलाशी जाए. राष्ट्रपति जिनपिंग को इतिहास और संस्कृति में रुचि है. इसलिए भारत ने एक ऐसे स्थान की तलाश की जिसमें अन्य सभी आधारभूत संरचनाएं हों. महाबलीपुरम तमिलनाडु के प्राचीन शहरों में से एक है.
चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम से चीन का गहरा रिश्ता रहा है. इसीलिए दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के लिए इस शहर को चुना गया है. पुराने जमाने में महाबलीपुरम के चीन से व्यापारिक संबंध थे. उन्हीं, संबंधों की याद दिलाने के लिए शी जिनपिंग और पीएम मोदी की मुलाकात इस शहर में होने वाली है.मामल्लपुरम यानी महाबलीपुरम 1984 से ही एक विश्व धरोहर स्थल है. स्थान चयन में निर्णायक कारक-दक्षिणी भारत और चीन के बीच का ऐतिहासिक संबंध है.
सातवीं सदी में भारत आए ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में कांचीपुरम का उल्लेख किया है. पल्लव और चोल राजाओं के काल में इज जगह एक प्रमुख बंदरगाह था, जहां चीन के कारोबारी आया करते थे. मान्यता है कि दक्षिण में पोर्ट से शुरू हुआ और गुआंगज़ौ में चला गया. फुकिनन में चीन में पाए गए शिलालेखों में भी भारतीय मंदिरों के बारे में उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि कांचीपुरम में सिल्क के कारोबार का इतिहास और सम्बंध भी चीन से होने वाले रेशम व्यापार से ही था.