अयोध्या पीठ के न्यायाधीश गुरुवार को चैंबर में बैठेंगे, संबद्ध पक्षों को जाने की इजाजत नहीं
नयी दिल्ली : राजनीतिक रूप से संवेदनशीलअयोध्या भूमि विवाद मामले में लंबी सुनवाई पूरी होने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य चैंबर में बैठेंगे. उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में एक नोटिस जारी कर कहा है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और चार अन्य न्यायाधीश […]
नयी दिल्ली : राजनीतिक रूप से संवेदनशीलअयोध्या भूमि विवाद मामले में लंबी सुनवाई पूरी होने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सदस्य चैंबर में बैठेंगे.
उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में एक नोटिस जारी कर कहा है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और चार अन्य न्यायाधीश चैंबरों में बैठेंगे, जहां मामले से संबद्ध पक्षों को जाने की इजाजत नहीं होगी. नोटिस में कहा गया है, यह ध्यान रखें कि बृहस्पतिवार 17 अक्तूबर को प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर चैंबरों में बैठेंगे. शीर्ष न्यायालय ने अयोध्या मामले में सुनवाई बुधवार को पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रख लिया. संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं.
संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया. इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्तूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुई. न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्तूबर तक पूरी की जानी थी. हालांकि, 14 अक्तूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्तूबर तक पूरी की जायेगी. लेकिन, 15 अक्तूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्तूबर कर दी थी. राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इस मुद्दे पर 17 नवंबर से पहले ही फैसला आने की उम्मीद है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई इस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.