सीसैट पर गठित अरविंद वर्मा कमिटी का सच!

कल अरविंद वर्मा समिति ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सीसैट को लेकर अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट को सरकार को सौंप दी. समिति का गठन दीनानाथ बत्रा केस में हाई कोर्ट के आदेश के बाद किया गया जब कोर्ट ने यूपीएससी सीसैट को लेकर कुछ त्रुटियां पायी थी. इस मामले को लेकर एक तीन सदस्यीय समिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2014 9:18 PM

कल अरविंद वर्मा समिति ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सीसैट को लेकर अपनी बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट को सरकार को सौंप दी. समिति का गठन दीनानाथ बत्रा केस में हाई कोर्ट के आदेश के बाद किया गया जब कोर्ट ने यूपीएससी सीसैट को लेकर कुछ त्रुटियां पायी थी.

इस मामले को लेकर एक तीन सदस्यीय समिति का गठन मई 2013 में किया गया था. समिति को तीन माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था लेकिन समिति एक साल के बाद भी रिपोर्ट नहीं दे पायी. किन्तु जो समिति इस मामले में एक साल में रिपोर्ट नहीं दे पायी वही समिति ने केवल 15 दिन में इससे संबंधित रिपोर्ट सौंप दी.

अब आइये जानते हैं इस कमिटी में शामिल सदस्यों के बारे में

अरविंद वर्मा एक रिटायर्ड आइएस अधिकारी हैं और ये समिति के अध्यक्ष हैं. इनके साथ दो और सदस्य आर के गुप्ता और पीके दास हैं.

अरविंद वर्मा

अरविंद वर्मा 1963 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. इन्होंने विशुद्व रुप से अंग्रेजी माध्यम से स्कूल व कॉलेज की पढाई की है. आईएएस वनने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर दिया गया. जब फैजाबाद में बाबरी मस्जिद घटना हुई थी उस वक्त वहां वे डिविजनल कमिश्नर के पद पर कार्यरत रहे. इससे भी आप उनकी प्रशासनिक क्षमता का अंदाजा का अंदाजा लगा सकते हैं. और उनकी प्रशासनिक क्षमता में कोई संदेह नहीं है. बाद में एक विभाग में सचिव बने और रिटायर्मेंट के बाद एक निजी कंपनी में सीएओ के पद पर हैं.

आर के गुप्ता

दूसरे सदस्य हैं आर के गुप्ता यानी राजेश कुमार गुप्ता. ये 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. इन्हें जम्मू कश्मीर कैडर मिला हुआ है. इन्होंने दिल्ली के आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग की है और बाद में एमबीए भी किया है. इन्होंने ज्वायंट सेक्रेटरी के पद पर भी कार्य किया है और वर्तमान में जम्मू कश्मीर में राज्यपाल के प्रधान सचिव हैं.

पी के दास

तीसरे सदस्य हैं पीके दास यानी प्रमोद कुमार दास. मिस्टर दास और आर के गुप्ता एक बैच के हैं किन्तु इन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला हुआ है. इन्होंने अंग्रेजी माध्यम से अर्थशास्त्र में स्नातक की है और प्रबंधन से इन्होंने स्नातकोत्तर किया है. वर्तमान में ये भी डीओपीटी में ज्वायंट सेक्रेटरी हैं.

यहां यह भी गौरतलब है कि जब यूपीएससी का सिलेबस बदला जा रहा था उस वक्त आर के गुप्ता डीओपीटी में अतिरक्त सचिव थे. एक बात और उल्लेखनीय है कि यूपीएससी के अध्यक्ष डी पी अग्रवाल ने ही सीसैट पैटर्न का प्रारुप तैयार किया है. एक और बात जानने योग्य है कि 1975-94 के दौरान डी पी अग्रवाल दिल्ली आईआईटी के फैकल्टी और डीन रह चुके हैं. आर के गुप्ता उसी आईआईटी के छात्र रह चुके हैं.

अब यह स्पष्ट है कि उन दोनों में एक गुरु-शिष्य का रिश्ता भी रहा है. और यही गुप्ता-अग्रवाल का खेल पूरे यूपीएससी सीसैट का जड़ है.

अब यह आसानी से समझा जा सकता है कि जिस गुरु ने खुद सीसैट प्रणाली को तैयार किया है उसी गुरु का एक शिष्य उस समिति में शामिल है जो इस सीसैट के बारे में अपनी सिफारिश सरकार को दी है. इस आलेख को पढ़ने के बाद शायद छात्रों को वर्मा समिति की रिपोर्ट में क्या कुछ हो सकता है इसका आकलन करने में आसानी होगी.

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