Election Results Analysis: हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से फिर उभरे विपक्षी क्षत्रप

नयी दिल्ली : भाजपा के प्रभाव वाले महाराष्ट्र और हरियाणा में क्षेत्रीय क्षत्रपों की जोरदार वापसी ने विपक्षी दलों के क्षेत्रीय नेताओं में नये सिरे से जान फूंक दी है और इसका असर झारखंड और दिल्ली में भी देखने को मिल सकता है जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. झारखंड में भाजपा सत्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2019 10:52 PM

नयी दिल्ली : भाजपा के प्रभाव वाले महाराष्ट्र और हरियाणा में क्षेत्रीय क्षत्रपों की जोरदार वापसी ने विपक्षी दलों के क्षेत्रीय नेताओं में नये सिरे से जान फूंक दी है और इसका असर झारखंड और दिल्ली में भी देखने को मिल सकता है जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

झारखंड में भाजपा सत्ता में है और वहां इस साल के अंत तक चुनाव होने है जबकि राष्ट्रीय राजधानी में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं.

महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्तूबर को मतदान हुआ था और इन दोनों ही राज्यों में भाजपा का मत प्रतिशत बड़े अंतर से गिरा है, यद्यपि महाराष्ट्र में अपनी गठबंधन सहयोगी शिवसेना के साथ उसे बहुमत मिल गया है और हरियाणा में वह सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आयी है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भगवा और विपक्षी गठबंधन के बीच मत प्रतिशत का अंतर करीब 21 फीसद था और यह अंतर उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत हो सकता है.

संसदीय चुनावों के मुकाबले भाजपा के हरियाणा में 22 फीसद और महाराष्ट्र में 10 फीसद मत प्रतिशत गंवाने की ओर रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस-झामुमो गठबंधन मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने की उम्मीद कर सकता है.

उन्होंने दावा किया कि अगर विपक्षी गठबंधन एक नेता पर सहमत हो जाते हैं तो वे भाजपा को अपदस्थ कर सकते हैं. झामुमो मांग कर रहा है कि उसके नेता हेमंत सोरेन को राज्य में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) मान सकती है कि भाजपा का मत प्रतिशत भी उसके खाते में आ सकता है और वह सत्ता में बनी रह सकती है क्योंकि भगवा दल की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं होने की वजह से केजरीवाल को फायदा हो सकता है.

लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों सीटों पर कब्जा जमाया था. राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने विपक्ष के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन का श्रेय हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा और महाराष्ट्र में शरद पवार को दिया.

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