मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने दावा किया था कि इस बार उनके मुकाबले में कोई है ही नहीं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार की तुलना साल 1976 में आई फिल्म शोले के एक किरदार जेलर से करके उनका मजाक उड़ाया था. बीजेपी-शिवसेना का मानना था कि जहां कांग्रेस की हालात खस्ता है वहां भला एनसीपी का क्या अस्तित्व होगा.
चुनाव में घट गई बीजेपी-शिवसेना की सीटें
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और बीजेपी-शिवसेना गठबंधन दोबारा देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रही है. लेकिन खास बात ये है कि इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना, दोनों की सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई है. वहीं चुनाव में सबसे पिछड़ी मानी जा रही शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने राज्य विधानसभा की 54 सीटों पर कब्जा कर लिया.
वहीं कांग्रेस के खाते में आईं कुल 44 सीटें. मतलब की इस बार बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने सरकार भले ही बना ली हो लेकिन विपक्ष भी इस बार काफी मजबूत स्थिति में है.
किन कारणोंं ने एनसीपी को मजबूत बनाया
सवाल ये है कि आखिर क्या कारण रहे जिसने रेस में सबसे पिछड़ी मानी जा रही एनसीपी को इतनी मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. चलिए कारणों की पड़ताल करते हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के चुनावी कैंपेन पर अगर आपकी मजबूत नजर रही होगी तो आपने गौर किया होगा कि पार्टियां अतिआत्मविश्वास में नजर आ रही थीं.
हाल ही में 36 फीसदी मराठा आरक्षण का दांव खेलने के बाद सीएम देवेंद्र फड़णवीस को लग रहा था कि उन्होंने कम से कम इस वर्ग का वोट बैंक एकतरफा साध लिया है. लेकिन पार्टी से यहीं चूक हो गयी.
शरद पवार ने उठाए जमीन से जुड़े मुद्दे
हाल के दिनों में देखें तो पाएंगे कि महाराष्ट्र में कृषि संकट अपने उच्चतम स्तर पर रहा. पहले सुखा पड़ने की वजह से फसल उत्पादन में दिक्कत आई तो वहीं मानसून में आई बाढ़ की वजह से कई एकड़ में लगी फसल तो बरबाद हुई ही, लोगों का आम जनजीवन भी काफी बुरी तरह प्रभावित हुआ. इस समस्या से मजबूती से निपट पाने में सरकार कमजोर साबित हुई. इसके अलावा पीएमसी बैंक घोटाला भी बड़ा फैक्टर रहा होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. शहरी क्षेत्रों में मराठा उच्चवर्ग बार-बार एनसीपी नेता शरद पवार को निशाना बनाये जाने से नाराज था.
इन घटनाओं से हुआ बीजेपी को नुकसान
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पाला बदला और बीजेपी का दामन थाम लिया. जहां बीजेपी इसे मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देख रही थी वहीं शरद पवार ने इसे भलीभांति भुनाया. दागी नेताओं को एन वक्त पर पार्टी में शामिल किए जाने से बीजेपी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को भी नुकसान पहुंचा.
मराठा गौरव पर पवार ने बीजेपी को घेरा था
यही नहीं, नेताओं द्वारा दल बदल की इस गतिविधि को एनसीपी नेता शरद पवार ने मराठा गौरव से जोड़ दिया. शरद पवार इसे अतीत में शिवारी के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य तक ले गए और कहा कि शिवाजी ने पाला बदलने वाले लोगों को कभी बर्दाश्त नहीं किया था. शरद पवार ने ये भी कहा कि बीजेपी-शिवसेना मराठा अतीत को भुला देना चाहती है और इसके गौरव का सम्मान नहीं करती.
इसी बीच उनका वो वीडियो काफी वायरल हुआ जिसमें शरद पवार मूसलाधार बारिश में भींगते हुए एक रैली को संबोधित करते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने 79 साल की उम्र में जैसी जीवटता दिखाई वो निश्चित ही फायदेमंद रहा.
एनसीपी-कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका में
बीजेपी जहां जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी रैलियों में महाराष्ट्र में कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य, पेयजल की समस्या, तथा बेरोजगारी संकट का मुद्दा उठाया. जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाने की वजह से लोग एनसीपी की तरफ आकृष्ट हुए जिसका इनाम पार्टी को 54सीटों पर जीत के तौर पर मिला.
जाहिर है कि बीजेपी को चौकन्ना होने की जरूरत थी. अब लब्बोलुआब ये है कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने भले ही यहां सरकार बना ली हो लेकिन एनसीपी तथा कांग्रेस मजबूत विपक्ष की भूमिका में हैं.