महाराष्ट्र विधानसभा : किसी पर हत्या का मुकदमा तो कोई है अपहरण का आरोपी, जानिए निर्वाचित विधायकों की कुंडली
नयी दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. 290 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को 105तो वहीं शिवसेना को 55 सीटें मिली हैं. हमेशा से भारतीय चुनावी राजनीति में इस बात की चर्चा होती है कि आपराधिक […]
नयी दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. 290 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को 105तो वहीं शिवसेना को 55 सीटें मिली हैं. हमेशा से भारतीय चुनावी राजनीति में इस बात की चर्चा होती है कि आपराधिक छवि के नेता सदन में चुनकर आते हैं. इस तथ्य पर क्या किया जाए.
संस्थाओं ने किया हलफनामों का विश्लेषण
महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में नव-निर्वाचित 288 विधायकों में से 285 विधायकों द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए उनके हलफनामे का विश्लेषण किया. संगठन का उद्देश्य ये जानना था कि जनप्रतिनिधियों की आर्थिक स्थिति क्या है और उन पर कितने आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. इनमें से तीन विधायकों के हलफनामें का विश्लेषण नहीं किया जा सका क्योंकि ये रिपोर्ट बनाते समय उनका स्पष्ट और पूरा हलफनामें चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था. चलिए जानते हैं कि हालात क्या हैं?
निर्वाचित 288 विधायकों का हुआ अध्ययन
जिन 288 विधायकों के हलफनामे का विश्लेषण किया गया, उसमें पाया गया कि इनमें से 176 विधायकों पर (जोकि कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का 62 फीसदी है) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. विधायकों ने अपने हलफनामें में इसकी घोषणा की है. तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जिन 288 विधायकों का विश्लेषण किया गया था उनमें 165 विधायकों पर (57फीसदी) आपराधिक मामले दर्ज थे.
113 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले
अब यदि बात की जाए गंभीर आपराधिक मामलों की तो महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक 288 निर्वाचित विधायकों में से 113 विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामें में बताया है कि उन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं साल 2014 में 115 विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर किस्म का आपराधिक मामला दर्ज होने की घोषणा की थी. हालांकि प्रतिशत के हिसाब से देखें तो 2014 और 2019, इन दोनों सालों में ये 40 फीसदी है.
02 विधायकों पर चल रहा है हत्या का मुकदमा
अपराध की किस्म के आधार पर भी अलग-अलग विश्लेषण किया गया है. संगठनों के मुताबिक 288 में से 02 विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामें उल्लेख किया है कि उन पर आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला चल रहा है. वहीं हलफनामों के विश्लेषण से पता चला है कि 288 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में से 11 पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है. 04 विधायकों ने अपने चुनावी हलफनामें में बताया है कि उन पर (आईपीसी की धारा 363) के तहत अपहरण यानी किडनैपिंग का मामला दर्ज है.
जानिए किस पार्टी के विधायक ज्यादा दागी
इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा किए गए विश्लेषण के मुताबिक उन्होंने विभिन्न पार्टियों में कितने दागी विधायक हैं इसका भी अध्ययन किया है. भारतीय जनता पार्टी के 105 विधायक इस बार चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे हैं जिनमें से 65 विधायकों (तकरीबन 62 फीसदी), शिवसेना के 55 में 31 (तकरीबन 56 फीसदी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 53 में 32 विधायकों (50 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं 12 निर्दलीय विधायकों में से 9 ने हलफनामें स्वीकार किया है कि उन पर आपराधिक मामला दर्ज है.
इन विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामला
गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों की बात की जाए तो बीजेपी के 105 में से 40(38 प्रतिशत), शिवसेना के 55 में से 26 (47 फीसदी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 53 विधायकं में से 13 (32 फीसदी), कांग्रेस के 44 विधायकों में 15 (34 फीसदी) और 12 निर्दलीय विधायकों में से 06(50 प्रतिशत) विधायकों ने अपने हलफनामें में उल्लेख किया है कि उनके ऊपर गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं.
ये आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं. इतनी बड़ी संख्या में आपराधिक छवि के नेताओं की सदन में उपस्थिति वाकई हैरान करने वाली है. महाराष्ट्र इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का ये अध्ययन बताता है कि अभी भारत में चुनावी राजनीति में और कितना सुधार किये जाने की जरूरत है.