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मोदी ने कहा, हस्तक्षेप की नहीं, सहयोग की मंशा

पशुपतिनाथ मंदिर में दो करोड़ का चंदन चढ़ाएंगे मोदी नेपाल के साथ भारत के संबंधों में ‘नया अध्याय’ शुरू करने के मकसद से रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काठमांडू पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. पहले दिन उन्होंने नेपाल की संविधान सभा को संबोधित किया. तीन समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही बड़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2014 8:51 AM

पशुपतिनाथ मंदिर में दो करोड़ का चंदन चढ़ाएंगे मोदी

नेपाल के साथ भारत के संबंधों में ‘नया अध्याय’ शुरू करने के मकसद से रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काठमांडू पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. पहले दिन उन्होंने नेपाल की संविधान सभा को संबोधित किया. तीन समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही बड़े मदद का एलान किया.देखें तस्‍वीरें…

भारत की नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की किसी मंशा से इनकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच की सीमा को सेतु बनना चाहिए न कि अड़चन. इसके साथ ही उन्होंने पड़ोसी देश को एक अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण रियायती दर पर देने का एलान किया. पनबिजली की अपार संभावनाओं वाले चौतरफा जमीनी सीमाओं से घिरे इस देश के विकास के लिए ‘हिट’ (एचआइटी) फामरूले का प्रस्ताव किया. नेपाल की संविधान सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि उसका पड़ोसी एक विकसित देश बने.

नेपाल सही अर्थो में संप्रभु राष्ट्र है. हम सदा से मानते रहे हैं कि आप जो करते हैं उसमें हस्तक्षेप करना हमारा काम नहीं है. हां, आपने जो रास्ता चुना है उसमें आपको सहयोग जरूर देंगे. मोदी दूसरे ऐसे विदेशी नेता हैं, जिन्हें नेपाल की संसद को संबोधित करने का गौरव प्राप्त हुआ. 1990 में जर्मन चांसलर हेल्मट कोल ने संबोधित किया था. मोदी ने हिंदी में अपना भाषण शुरू करने से पहले नेपाली में कहा, ‘मैं इस सुंदर देश में एक मित्र की तरह लौटा हूं और मैं प्रधानमंत्री के रूप में यहां आने के कारण प्रसन्न हूं. इस बात को याद किया कि वह काफी पहले एक तीर्थयात्री के रूप में नेपाल आये थे.’ अपने 45 मिनट के भाषण में कहा कि आपने शस्त्र त्याग कर शास्त्र का रास्ता अपनाया है.

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पिछले 17 साल में नेपाल की यात्रा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने युद्ध का मार्ग त्यागा है और बुद्ध का मार्ग अपनाया है. नेपाल को विकास कार्यो के लिए रियायती ऋण सुविधा का एलान करते हुए कहा कि यह राशि पूर्व में दी गयी सहायता से अलग होगी. इससे पहले भारत ने भारतीय आयात-निर्यात बैंक (एक्जिम बैंक) के जरिये नेपाल को 25 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान की थी. नेपाल इसका उपयोग बुनियादी ढांचे के विकास और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए करेगा.

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प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत : इससे पहले नेपाली समकक्ष सुशील कोइराला प्रोटोकॉल से अलग हटकर सीधे त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे और अगवानी की. एयरपोर्ट पर नेपाल के उप प्रधानमंत्री बाम देव गौतम और प्रकाश मान सिंह भी मौजूद थे. मोदी को एयरपोर्ट पर ही रंगारंग समारोह में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस मौके पर भारत और नेपाल के राष्ट्रगान भी बजाये गये. नेपाली सेना ने मोदी को 19 तोपों को सलामी दी. हवाई अड्डे के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे. एयरपोर्ट से होटल के बीच 10 मिनटों के सफर के दौरान सड़कों पर लोग बड़ी संख्या में देखे गये. वे झंडे लहरा रहे थे. अपने कैमरों से तसवीरें ले रहे थे.

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विकास का फार्मूला HIT

नेपाल के लिए आदर्श विकास फार्मूला की पेशकश करते हुए कहा कि मैं नेपाल को हिट करना चाहता हूं. अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि ‘हिट’ में ‘एच’ मायने हाइवे (राजमार्ग), आई का मतलब है आइवेज(सूचना प्रवाह) और टी से तात्पर्य है ट्रांसवेज (पारेषण और पारगमन). ये तीनों मिलकर देश के त्वरित विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगे. भारत ‘जल्द से जल्द यह देना चाहता है.’

तीन तरीकों से मदद

मोदी ने कहा कि भारत नेपाल को तीन तरीकों से मदद करना चाहता है. राजमार्ग, सूचना प्रौद्योगिकी और पारेषण लाइनें. भारत जहां राजमार्गो के विस्तार के लिए नेपाल की मदद करेगा. वहीं, सूचना संपर्क विकसित करने में सहायता मुहैया करायेगा. पड़ोसी को सुझाव दिया कि आपको भी डिजिटल युग के साथ चलना होगा. व्यापक स्तर पर दुनिया से जुड़ना होगा.

नेपाल में पनबिजली क्षेत्र के विकास की विपुल संभावनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए भारत बिजली के आयात निर्यात हेतु पारेषण लाइनें स्थापित करवाने को प्रतिबद्ध है. मैं चाहता हूं कि भारत आज नेपाल को जिस मात्र में बिजली उपलब्ध करा रहा है उसे दुगना किया जाये.

तीन समझौतों पर हस्ताक्षर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला से सिंह दरबार सचिवालय में मुलाकात की. आपसी संबंधों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. इसके बाद मोदी और कोईराला तीन समझौतों पर हस्ताक्षर के साक्षी बने.

पहला : महाकाली नदी पर पंचेश्वर परियोजना की शर्तो में संशोधन

दूसरा : नेपाल को घेंघा व आयोडीन की कमी से होने वाले अन्य रोगों की रोकथाम के मकसद से आयोडीन युक्त नमक की आपूर्ति के लिए 6.9 करोड़ नेपाली रुपये की अनुदान सहायता.

तीसरा: दोनों देशों के सरकारी टेलीविजनों नेपाल टेलीविजन और दूरदर्शन के बीच सहयोग को लेकर.

योगदान को सलाम

भारत की रक्षा में गोरखा सैनिकों के योगदान की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने नेपाली सैनिकों के बलिदान के बिना कोई भी युद्ध नहीं जीता है. ‘मैं उन्हें नमन करता हूं. भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल के इन शब्दों को भी दोहराया कि जो सैनिक यह कहता है कि उसे मृत्यु से भय नहीं है, वह या तो झूठ बोल रहा होता है या फिर कोई गोरखा होता है.

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