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अब बच्‍चे को पीटा तो खैर नहीं,हो सकती है पांच साल की सजा

नयी दिल्‍ली: अब बच्‍चों को मारना या पीटना बडों के लिए महंगा पड सकता है. खासकर यह उन पेरेंट्स और शिक्षकों के लिए है जो बच्‍चों पर सख्‍ती से पेश आते है. बच्‍चों के साथ ऐसा व्‍यावहार उन्‍हें जेल की हवा भी खिला सकता है. अब बच्‍चों को छोटा समझ के कोई भी उनपर मनमानी […]

नयी दिल्‍ली: अब बच्‍चों को मारना या पीटना बडों के लिए महंगा पड सकता है. खासकर यह उन पेरेंट्स और शिक्षकों के लिए है जो बच्‍चों पर सख्‍ती से पेश आते है. बच्‍चों के साथ ऐसा व्‍यावहार उन्‍हें जेल की हवा भी खिला सकता है. अब बच्‍चों को छोटा समझ के कोई भी उनपर मनमानी नहीं कर सकता है.

बच्‍चों के हितों की खातिर अदालत भी सख्‍त हो गई है.बच्‍चों के खिलाफ हो रही हिंसा को कम करने के लिए सरकार कडे कानून को ड्राफ्ट करने में लगी हुई है. इस विषय पर सरकार जुवेनाइल जस्टिस एक्‍ट 2000 के जगह नये कानून के ड्राफ्टिंग पर कार्य कर रही है. खबरें आ रही है कि पुराने कानून के जगह सरकार सरकार नये कानून जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्‍शन ऑफ चिल्‍ड्रेन) बिल 2014 पेश करने जा रही है. इस कानून को सरकार ने बच्‍चों के हितों और अंतर्राष्‍ट्रीय कानून को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है.

शुक्रवार को लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने नए प्रस्तावित ड्राफ्ट बिल के बारे में बताया था. इस बिल पर सलाह मश्‍विरा शुरु हो चुका है. नये प्रस्‍तावित बिल पर पहले कैबिनेट की मोहर लगेगी फिर बिल को संसद में लाया जाएगा. यदि यह बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो जाएगा तो भारत दुनिया के ऐसे चालीस देशों में शामिल हो जाएगा जहां बच्चों को शारीरिक दंड निषेध है और दोषी के लिए सजा का प्रावधान है.

क्‍या है बिल

बिल के अनुसार किसी बच्चे को मारना,पीटना या गालियां देना कार्पोरल पनशिमेंट माना गया है. यदि इस मामले में कोई दोषी पाया जाता है तो जुवेनाइल कोट उसे पहले छह महीनों की जेल दे सकता है और जुर्माना भी लग सकता है.

दूसरी बार दोषी पाये जाने वाले व्‍यक्ति के लिए सजा की अवधि तीन साल हो सकती है. ड्राफ्ट के प्रावधान के मुताबिक, ‘यदि शारीरिक दंड देने से बच्चों को कोई मानसिक अवसाद या गंभीर आघात पहुंचता है तो दोषी को सश्रम तीन साल के कारावास और पचास हजार का जुर्माना भुगतना पड़ेगा’ इस सजा को पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने की राशि को एक लाख रुपए किया जा सकता है.’

सरकार ने बडे बच्‍चों के हितो का भी खयाल रखकर पुराने बिल में बदलाव जाते हुए रैगिंग को भी दंडनीय अपराध माना है और यदि रैगिंग से किसी को मानसिक या शारीरिक आघात पहुंचता तो दोषी के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान भी बिल में किया गया है. रैगिंग के लिए नए प्रावधान में सिर्फ छात्रों को नहीं बल्कि कॉलेज मैनेजमेंट को भी जवाबदेह बनाया गया है.

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