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महाराष्ट्र में सीएम कुर्सी की जंगः शिवसेना सांसद ने कहा- यहां कोई दुष्यंत नहीं हैं, जिनके पिता जेल में हो

मुंबईः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से अब तक पांच दिन बीत चुके हैं, मगर सरकार गठन को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच सरकार गठन में कुर्सी को लेकर खींचतान लगातार जारी है. शिवसेना अभी भी 50-50 के फॉर्मूले की मांग पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 12:34 PM
मुंबईः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से अब तक पांच दिन बीत चुके हैं, मगर सरकार गठन को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच सरकार गठन में कुर्सी को लेकर खींचतान लगातार जारी है. शिवसेना अभी भी 50-50 के फॉर्मूले की मांग पर अड़ी हुई है.
महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व गठबंधन के बाद भी सरकार बनाने में देरी क्यों हो रही है? इस सवाल पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यहां कोई दुष्यंत नहीं हैं, जिनके पिता जेल में हों. यहां हम हैं, जो ‘धर्म और सत्य’ की राजनीति करते हैं. शरद जी जिन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया है जो कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे.’
साथ ही उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे जी ने कहा है कि हमारे पास अन्य विकल्प भी हैं लेकिन हम उस विकल्प को स्वीकार करने का पाप नहीं करना चाहते हैं. शिवसेना ने हमेशा सच्चाई की राजनीति की है, हम सत्ता के भूखे नहीं हैं.इन सब के बीच अब शिवेसना ने राज्य में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाने का भी इशारा किया है.
बीजेपी कर रही विकल्पों पर विचार
खबर है कि शिवसेना के सख्त तेवरों को देखते हुए बीजेपी विकल्पों पर विचार करने लगी है. बुधवार (30 अक्टूबर) को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मुंबई दौरे की संभावना है. कहा जा रहा है कि वह शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर डील फाइनल कर सकते हैं. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि यदि अमित शाह के साथ उद्धव की बैठक में बात नहीं बनती है तो फिर विधायकों की बैठक के बाद फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिल सरकार गठन का दावा कर सकते हैं.
यह सरकार 2014 की तर्ज पर अल्पमत की ही सरकार होगी, जिसके गठन के बाद सदन में बहुमत परीक्षण किया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो पिछली बार की तरह इस बार भी शिवसेना फडणवीस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहेगी.
बता दें कि 2014 में शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब बीजेपी को 122 और शिवसेना को 63 सीटें मिली थीं. शिवसेना के साथ समझौता न होने पर देवेंद्र फडणवीस ने अल्पमत सरकार का गठन किया था, जिसे एनसीपी ने बाहर से समर्थन का ऐलान कर दिया था. हालांकि बाद में शिवसेना ने भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला किया था.
बीजेपी-शिवसेना में क्या चल रहा है
बता दें कि महाराष्‍ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान के साथ दबाव की राजनीति जारी है. चुनाव नतीजे के बाद से ही शिवसेना ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सरकार बनाने पर अड़ी है. जबकि बीजेपी विधायकों के लिहाज से सबसे बड़ी पार्टी होने का हवाला देते हुए इस फॉर्मूले पर सहमत नहीं है. सोमवार को बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात की थी.

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