न्यायाधीश के गीता संबंधी बयान पर काटजू नाराज

नयी दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद(पीसीआई) के अध्‍यक्ष मार्कन्डेय काटजू ने आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ए के दवे के गीता और महाभारत संबंधी बयान को लेकर आपत्ति जताई है. उन्‍होंने इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे तथा संविधान के खिलाफ बताया.उन्होंने कहा कि इससे देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को गहरा नुकसान होगा. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2014 2:15 PM

नयी दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद(पीसीआई) के अध्‍यक्ष मार्कन्डेय काटजू ने आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ए के दवे के गीता और महाभारत संबंधी बयान को लेकर आपत्ति जताई है. उन्‍होंने इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे तथा संविधान के खिलाफ बताया.उन्होंने कहा कि इससे देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को गहरा नुकसान होगा.

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए आर दवे ने कल कथित तौर पर कहा था कि भारतीयों को अपनी प्राचीन परंपराओं की ओर लौटना चाहिए तथा बच्चों को शुरुआती अवस्था से ही महाभारत तथा भगवद् गीता जैसे ग्रंथ पढाये जाने चाहिए.

उन्होंने अहमदाबाद में कथित तौर पर बयान दिया था कि ‘अगर मैं भारत का तानाशाह होता तो मैं पहली कक्षा से ही गीता और महाभारत पढाना लागू करता. इस तरीके से आप सीखते कि जीवन कैसे जीना है.अगर कोई कहता है कि मैं धर्मनिरपेक्ष हूं या मैं धर्म निरपेक्ष नहीं हूं तो मैं माफी चाहूंगा.कहीं भी कोई भी बात अगर अच्छी हो तो हमें उसे ग्रहण करना चाहिए’.

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश काटजू ने आज इससे असहमति जताते हुए कहा ‘मैं न्यायमूर्ति दवे के इस बयान से पूरी तरह असहमत हूं कि गीता और महाभारत स्कूलों में अनिवार्य की जाननी चाहिए.

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