भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार ने किन्नरों को समाजिक दर्जा देने के पक्ष में सरकार से नयी मांग की है. किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा मिलने के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार किन्नरों को समाज में सम्मानजनक पहचान देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजकर मांग की है कि जिस प्रकार हिन्दी में पुरुषों, स्त्रियों और लडकियों के लिए ‘श्रीमान’, ‘श्रीमती’ और ‘सुश्री’ का उपयोग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से किन्नरों को हिन्दी में ‘कि.’ अर्थात किन्नर तथा अंग्रेजी में ‘टीजीआर’ अर्थात ट्रांसजेन्डर से संबोधित किया जाए.
मध्यप्रदेश सामाजिक न्याय विभाग की सचिव वी के बाथम ने आज यहां ‘प्रेट्र’ को बताया, ‘किन्नर समुदाय में बहुत सारे व्यक्तियों के हो जाने से सरकार को उनकी पहचान में परेशानी का सामना करना पड रहा है. इसलिए राज्य सरकार ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय से प्रस्ताव किया है कि जिस तरह से पुरषों, स्त्रियों और लडकियों के लिए अंग्रेजी में ‘मिस्टर, मिसेज और मिस’ का उपयोग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार किन्नरों को ‘टीजीआर’ (ट्रांसजेन्डर) से संबोधित किया जाए’.
बाथम ने बताया, ‘यह उनको (किन्नरों) समाज में सम्मानजनक संबोधन देने में मदद करेगा. इसके साथ-साथ यह सरकार के लिए भी किन्नरों को मतदाता सूची और अन्य कल्याणकारी योजनाओं सहित विभिन्न सरकारी सूचियों में पहचान देने में सहायक साबित होगा.
बाथम ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने किन्नरों के कल्याण के लिए एक ‘किन्नर बोर्ड’ भी गठित किया है.यह बोर्ड राज्य के किन्नरों का डाटा रखने के अलावा उन्हें उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी भी उपलब्ध कराएगी.उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार इस समुदाय के सदस्यों में से किसी एक को इस ‘किन्नर बोर्ड’ का अध्यक्ष शीघ्र ही नियुक्त करेगी.
बाथम ने बताया कि वे ‘किन्नर’ वर्तमान में चल रहे साक्षरता, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य जैसी विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जनता में जागरुकता लाने में मदद करने के अलावा पंचायत की बैठकों में महिलाओं को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार इस समुदाय के लोगों के लिए नौकरियों की भी पहचान करेगी.एक आधिकारिक जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में वर्तमान में लगभग 2,500 किन्नर हैं. हालांकि, अपुष्ट सूत्रों के अनुसार असलियत में राज्य में इनकी संख्या काफी अधिक है.
उन्होंने बताया कि अधिकतर किन्नर अपनी आजीविका विभिन्न समारोहों जैसे शादी-ब्याह, बच्चे का जन्म और त्योहारों के मौके पर लोगों के घरों में नाच कर और गाना गाकर चलाते हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी (किन्नरों) आय बहुत कम है और जब वे वृद्ध हो जाते हैं, तब वे अपने चेलों पर पैसे के लिए निर्भर हो जाते हैं, जिससे उनको वृद्धावस्था में काफी परेशानी उठानी पडती है. किन्नरों के लिए बना यह बोर्ड इस समुदाय के सदस्यों की इन समस्याओं को दूर करने में कारगर होगा.
महाराष्ट्र सरकार को नहीं मालूम राज्य में किन्नरों की संख्या
महाराष्ट्र में किन्नर समुदाय के लिए बनने वाले कल्यान बोर्ड का सरकार का प्रस्ताव किन्नरों की सही संख्या की जानकारी के आभाव के कारण्ा अब तक अम्लीजामा नहीं पहन सका है.
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार किया गया यह प्रस्ताव योजना विभाग को भेजा गया था. राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष भेजने के लिए योजना विभाग ने इस प्रस्ताव के मद में कोष तय करना है और उसे पारित करना है.
योजना विभाग ने महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय को बताया है कि चूंकि ‘ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड’ का गठन नीतिगत निर्णय है, तो ऐसी किसी संस्था के गठन से पहले राज्य में तीसरे लिंग के लोगों की आधिकारिक संख्या उपलब्ध होनी चाहिए.
महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय को दिए एक नोट में योजना विभाग ने कहा, ‘लाभार्थियों की सही संख्या जाने बिना नीतिगत निर्णय लेना संभव नहीं है’.
महिला एवं बाल विकास विभाग ने 5.54 करोड रुपए की मांग की है, जिसका इस्तेमाल उसके अनुसार, एक सर्वेक्षण कर ने, कल्याणकारी योजनाएं चलाने और समुदाय के लिए रोजगार तलाशने में किया जाएगा.
मुंबई जिला एड्स नियंत्रण सोसाइटी (एमडीएसीएस) ने सरकार को सूचित किया है कि उसके पास एचआईवी से प्रभावित और देह व्यापार में संलिप्त लोगों की संख्या है.
एमडीएसीएस ने कहा, ‘तीसरे लिंग के लगभग 40 हजार लोग देहव्यापार और एचआईवी पॉजिटिव लोगों में शामिल हैं.तीसरे लिंग के लोगों के लिए कोई अलग आंकडा नहीं है. हालांकि मुंबई के गैर सरकारी संगठन अस्तित्व ने इनकी जनसंख्या पांच लाख से उपर बताई है.
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने प्रेस ट्रस्ट को बताया कि तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां किन्नरों के लिए कल्याण बोर्ड हैं.
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पिछले साल इस समुदाय के लोगों से मुलाकात में ऐसे ही एक बोर्ड के गठन की घोषणा की थी. इस अवसर पर चव्हाण ने समाज के उस उपेक्षित तबके के कल्याण और नीति निर्माण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसे अक्सर भेदभाव और शोषण का सामना करना पडता है.
इसी बीच, महिला एवं बाल कल्याण विभागमंत्रालयने योजना विभाग को सूचित किया है कि किन्नर समुदाय के सदस्यों की असल संख्या सिर्फ वर्ष 2021 की जनगणना में ही पता चल सकती है.
मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए मसौदे के अनुसार, ‘चूंकि इस समुदाय को नीची निगाह से देखा जाता है, इसलिए सम्मान के साथ जीवन जीने के इनके मानवाधिकार प्रभावित होते हैं. राज्य ने सबसे पहले किन्नरों को ‘असुरक्षित नागरिकों’ के रुप में परिभाषित किया. इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जो देहव्यापार में संलिप्त हैं. इस बोर्ड का उद्देश्य किन्नरों को सामाजिक और कानूनी सुरक्षा देना, उनके लिए कार्यक्रम और नीतियां बनाना है. इसकी अध्यक्षता महिला एवं बाल कल्याण विभाग के मंत्री द्वारा की जाएगी. इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए किन्नरों को बोर्ड के पास अपना पंजीकरण करवाना होगा.