महाराष्ट्र में सीएम पद पर रारः बीजेपी विधायक दल की बैठक शुरू, शिवसेना ने कल बुलाए अपने MLA

मुंबईः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे को हफ्ते दिन होने को हैं, मगर सरकार गठन को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच सरकार गठन में कुर्सी को लेकर खींचतान लगातार जारी है. शिवसेना भाजपा को 50-50 फॉर्मूले की याद दिला रही है, लेकिन बीजेपी की ओर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2019 2:58 PM

मुंबईः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे को हफ्ते दिन होने को हैं, मगर सरकार गठन को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है. शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच सरकार गठन में कुर्सी को लेकर खींचतान लगातार जारी है. शिवसेना भाजपा को 50-50 फॉर्मूले की याद दिला रही है, लेकिन बीजेपी की ओर से इसपर कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है.

इन्हीं सब के बीच आज भाजपा महाराष्ट्र की विधायक दल की बैठक शुरू हो गई. इसमें देवेंद्र फडणवीस का विधायक दल का नेता चुना जाना तय है.ये बैठक महाराष्ट्र विधान भवन में हो रही है. चुने गए सभी नए विधायक भगवा पगड़ी बांध कर बैठक में पहुंचे हैं.

केंद्रीय आलाकमान की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर, अविनाश राय खन्ना को पर्यवेक्षक बनाया गया है. जो विधायक दल का नेता चुनेंगे. महाराष्ट्र में सत्ता साझा करने को लेकर भले ही शिवसेना के तेवर तल्ख हैं पर बीजेपी को उम्मीद है कि वह सरकार में शामिल होने के लिए राजी हो जाएगी.

कल शिवसेना की विधायक दल की बैठक

भाजपा की बैठक से पहले शिवसेना नेता संजय राउत उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंचे. जहां सरकार गठन को लेकर मंथन चल रहा है. शिवसेना ने गुरुवार को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है, बता दें कि इस बार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी विधायक चुनकर आए हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि शिवसेना का विधायक दल का नेता उन्हें चुना जा सकता है. बता दें कि महाराष्ट्र में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 विधायक मिले हैं, कुल 161 का आंकड़ा बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक है.

कहां फंसा गणित

भारतीय जनता पार्टी को कुल 105 विधायक मिले हैं, लेकिन ये सरकार बनाने के लिए काफी नहीं हैं. पहली बार शिवसेना ने कम सीटों पर चुनाव लड़ा है और बीजेपी को 2014 की तुलना में कम सीटें मिलीं. चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद की मांग की. भाजपा ने इस मांग को खारिज कर दिया. मामले को लेकर दोनों दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग होने लगी. भारतीय जनता पार्टी को लगातार निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलता जा रहा है.

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