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विदेशी सांसदों का दौरा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिये बिल्कुल नहीं था : विदेश मंत्रालय

नयी दिल्‍ली :विदेश मंत्रालय ने वृहस्पतिवार को कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) संसद के सदस्यों का कश्मीर दौरा इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिये बिल्कुल नहीं था और इस तरह के शिष्टमंडल आधिकारिक माध्यमों से नहीं आया करते हैं. विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपनी पहली टिप्पणी में यह भी कहा कि महत्वपूर्ण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2019 4:46 PM

नयी दिल्‍ली :विदेश मंत्रालय ने वृहस्पतिवार को कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) संसद के सदस्यों का कश्मीर दौरा इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिये बिल्कुल नहीं था और इस तरह के शिष्टमंडल आधिकारिक माध्यमों से नहीं आया करते हैं.

विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपनी पहली टिप्पणी में यह भी कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या इस तरह का दौरा व्यापक राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करता है. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के बाद किसी विदेशी शिष्टमंडल का कश्मीर घाटी का यह पहला दौरा था.

ईयू संसद के 23 सदस्यों का एक शिष्टमंडल कश्मीर में स्थिति का जमीनी स्तर पर जायजा लेने के लिये मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर पहुंचा था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, हमें लगता है कि इस तरह की चीजें जनता के स्तर पर संपर्क का हिस्सा हैं.

उन्होंने कहा कि यह दौरा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिये बिल्कुल नहीं था. कुमार ने यह भी कहा कि ईयू संसद सदस्यों के विचारों ने जमीनी हकीकत और कश्मीर में आतंकवाद के खतरे के बारे में उनकी समझ को प्रदर्शित किया है.

करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे में नवजोत सिंह सिद्धू के नाम पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, मुझे लगता है कि राजनीतिक हस्तियों या आमंत्रितों जिनको राजनीतिक मंजूरी लेनी है या जिनका नाम सूची में नहीं है, को पता होगा. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है. उन्‍होंने कहा, मेरी समझ से इस तरह की यात्राओं के लिए राजनीतिक मंजूरी लेने के सामान्य नियम ही लागू होंगे.

इधर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के केन्द्र सरकार के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मामले पर तल्खी को देखते हुए यूरोपीय संघ ने दोनों देशों से तनाव को कम करने और इस मामले के शांतिपूर्ण राजनीति समाधान के लिए द्विपक्षीय बातचीत शुरू करने को कहा है.

यूरोपीय संघ के शिष्टमंडल की प्रथम सचिव मार्केटा होमोल्कोवा ने जिनेवा में ‘क्षेत्रीय निरस्त्रीकरण एवं सुरक्षा’ पर महासभा की पहली समिति चर्चा में मंगलवार को यह बात कही.

ईयू अधिकारी ने यहां कहा, कश्मीर पर तनाव की नयी स्थितियों के वक्त हमने दोनों पक्षों से तनाव नहीं बढ़ाने और शांतिपूर्ण एवं राजनीतिक समाधान के लिए द्विपक्षीय बातचीत शुरू करने को कहा है. उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब ईयू का 23 सदस्यीय शिष्टमंडल कश्मीर के वास्तविक हालात का जायजा लेने के लिए वहां गया था.

बुधवार को इस दल ने अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद अनुच्छेद 370 को रद्द करने को भारत का आंतरिक मामला बताया और कहा कि वह आतंकवाद के साथ लड़ाई में देश के साथ है. प्रथम सचिव ने अपने बयान में सीरिया में चल रहे युद्ध का भी जिक्र किया.

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