आरएफएल घोटाला : सिंह बंधुओं की न्यायिक हिरासत 14 नवंबर तक बढ़ी

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के धन का कथित तौर पर गबन करने के मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटरों मलविंदर सिंह और उनके भाई शिविंदर की न्यायिक हिरासत की अवधि बृहस्पतिवार को 14 नवंबर तक बढ़ा दी. इसके साथ ही मामले में एक आरोपी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2019 8:33 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के धन का कथित तौर पर गबन करने के मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटरों मलविंदर सिंह और उनके भाई शिविंदर की न्यायिक हिरासत की अवधि बृहस्पतिवार को 14 नवंबर तक बढ़ा दी. इसके साथ ही मामले में एक आरोपी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है.

आरएफएल, आरईएल की सहायक कंपनी है. मलविंदर और शिविंदर आरईएल के प्रमोटर थे. अदालत ने तीन अन्य आरोपियों सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना की न्यायिक हिरासत भी 14 नवंबर तक बढ़ा दी. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के जांच अधिकारी को नोटिस जारी किया और उन्हें गोधवानी की जमानत याचिका पर चार नवंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये. अदालत को गत 23 अक्तूबर को बताया गया था कि सिंह बंधुओं और आरएफएल के बीच समझौते को लेकर हुई वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची क्योंकि इसमें किसी तरह का प्रस्ताव नहीं दिया गया था.

धन की कथित हेराफेरी और उसे अन्य कंपनियों में निवेश करने के आरोप में मलविंदर (46), शिविंदर (44), गोधवानी (58), अरोड़ा (48) और सक्सेना को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था. गोधवानी की जमानत याचिका में दावा किया गया है कि जांच पक्षपातपूर्ण है क्योंकि पुलिस ने बे कैपिटल के सिद्धार्थ मेहता से अब तक पूछताछ नहीं की है, जबकि सभी अन्य आरोपियों के बयानों में मेहता का नाम लिया गया है. वकीलों रजत कत्याल और हिमांशु आनंद गुप्ता के जरिये दाखिल की गयी जमानत याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेहता ने आरईएल के शेयर मूल्य नीचे लाने के लिए सिंह बंधुओं के साथ साजिश रची और इसके कारण शेयरधारकों को नुकसान उठाना पड़ा और अध्यक्ष तथा कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने के लिए शिकायत दर्ज करायी गयी. बे कैपिटल और उसकी सहयोगी कंपनियां आरईएल की महत्वपूर्ण शेयरधारक हैं.

मेहता को फरवरी 2018 में रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के गैर-कार्यकारी गैर-स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था. ईओडब्ल्यू ने अदालत को बताया था कि सिंह बंधुओं ने खुलासा किया है कि कंपनियों को मिली कर्ज की राशि में से विभिन्न व्यक्तियों को करीब 1,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये जिसका अंतत: कथित तौर पर गबन किया गया. ईओडब्ल्यू ने आरएफएल के मनप्रीत सिंह सूरी से शिविंदर, गोधवानी और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद मार्च में प्राथमिकी दर्ज की थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि फर्म के प्रबंधन के दौरान उनके द्वारा ऋण लिया गया, लेकिन इस धनराशि को अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया गया. पुलिस के अनुसार शिकायतकर्ता का कहना है कि इन चार लोगों का आरईएल और उसकी सहायक कंपनियों पर पूर्ण नियंत्रण था.

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