जम्मू-कश्मीर के निवासी अब अन्य भारतीयों के समान, नहीं मिलेगी वरीयता
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने दो नये केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में स्थायी निवासियों या वंशानुगत राज्य विषय को खत्म करने की घोषणा की है, जिसके साथ ही भूमि और नौकरियों पर उनके सात दशक लंबे विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया गया है. ये केंद्र शासित प्रदेश गुरुवार को अस्तित्व में आये. […]
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने दो नये केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में स्थायी निवासियों या वंशानुगत राज्य विषय को खत्म करने की घोषणा की है, जिसके साथ ही भूमि और नौकरियों पर उनके सात दशक लंबे विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया गया है. ये केंद्र शासित प्रदेश गुरुवार को अस्तित्व में आये.
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर दोनों नये केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होने वाले कदमों की घोषणा की. इसके तहत वहां कई केंद्रीय कानूनों को भी लागू किया गया है, जो अब तक जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के कारण लागू नहीं हो सके थे. इसमें कहा गया, राज्य कानूनों में ऐसे संदर्भ हैं, जो जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में ‘स्थायी निवासियों’ या ‘वंशानुगत राज्य विषय’ का जिक्र करते हैं, वे जहां भी हैं, उन्हें रद्द कर दिया जायेगा.
भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर रियासत के विलय के समय जो राज्य के निवासी थे, उन्हें और उनके वंशजों को ‘राज्य विषय’ कहा जाता है और उन्हें अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के तहत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर में भूमि और नौकरियों संबंधी विशेषाधिकार प्राप्त थे. रियासत के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर, 1947 को विलय संधि पर हस्ताक्षर किये थे, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर भारत संघ का हिस्सा बन गया.