नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के साथ व्यापक मुद्दों पर बातचीत के बाद शुक्रवार को कहा कि भारत और जर्मनी आतंकवाद तथा चरमपंथ के खतरों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ायेंगे.
मोदी और मर्केल ने शुकवार को पांचवें भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विमर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता की. दोनों नेताओं ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान को संदेश देते हुए यह भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि उनकी सरजमीं का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में न किया जाये. यह पूछे जाने पर कि क्या नेताओं ने कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की, सूत्रों ने बताया कि आईजीसी के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की गयी. मोदी-मर्केल की बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका समेत कुछ विदेशी सांसदों ने अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के लिए अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद सरकार द्वारा लगायी पाबंदियों पर चिंता जतायी है.
मोदी ने मर्केल के साथ संयुक्त मीडिया सम्मेलन में एक बयान में कहा, हम आतंकवाद और चरमपंथ जैसे खतरों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग मजबूत करेंगे. मोदी और मर्केल वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया और वैश्विक समस्या से निपटने में मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का आह्वान किया गया. इसमें सभी देशों से आतंकवादियों की पनाहगाह और बुनियादी ढांचा खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्कों तथा वित्त पोषण को तोड़ने तथा आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियों को रोकने का आह्वान किया गया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जर्मनी को उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच हर क्षेत्र खासतौर से नवीन एवं उन्नत प्रौद्योगिकी में सामरिक सहयोग मजबूत करने की भी प्रशंसा की. मर्केल ने अपने बयान में कहा कि 5जी और कृत्रिम मेधा के क्षेत्र एक चुनौती हैं, इन पर साथ काम करना महत्वपूर्ण है. व्यापार संबंधों को और गहरा करने पर जोर देते हुए मर्केल ने कहा, हम जानते हैं कि हमारे आर्थिक संबंध बढ़े हैं, लेकिन यह और मजबूत हो सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘मेक इन इंडिया ऐसा प्रयास है जिसे हम तब समझ गये थे जब भारत हनोवर मेले में मेजबान देश था. हमने देखा कि आप अपने इस लक्ष्य को लेकर गंभीर हैं.
प्रधानमंत्री ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और निर्यात नियंत्रण शासन पद्धति में नयी दिल्ली की सदस्यता का प्रचार करते हुए जर्मनी के सहयोग के लिए भारत की ओर से सराहना व्यक्त की. मोदी ने कहा, साल 2022 में स्वतंत्र भारत को 75 साल हो जायेंगे. हमारा लक्ष्य तब तक नये भारत के निर्माण का है. प्रौद्योगिकी और आर्थिक शक्ति जर्मनी जैसे देशों की क्षमताएं भारत की प्राथमिकताओं के लिए उपयोगी होंगी. उन्होंने कहा, अत: हमने नवीन एवं उन्नत प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमता कौशल, शिक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर खास जोर दिया है. हमने ई-मोबिलिटी, स्मार्ट शहर, नदियों की सफाई और पर्यावरण संरक्षण पर सहयोग की संभावनाएं तलाशने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों में हमारा सहयोग जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संयुक्त प्रयासों में भी मददगार होगा. भारत और जर्मनी के बीच कृषि, समुद्री प्रौद्योगिकी, आयुर्वेद और योग समेत अन्य क्षेत्रों में 17 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों के बीच पांच संयुक्त आशय पत्र साझा किये गये. संयुक्त आशय पत्रों में सामरिक परियोजनाओं पर सहयोग, शहर में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए भागीदारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अनुसंधान और विकास तथा समुद्र में कचरे को रोकने में सहयोग शामिल हैं. मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को तेज करने पर सहयोग जारी रखेंगे.
भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आयी जर्मन चांसलर ने कहा कि ये समझौते साबित करते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंध नये और उन्नत तकनीक के क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में शामिल होकर हमें खुशी होगी जिन पर भारत विचार कर रहा है. बाद में मोदी ने ट्वीट किया, आज चांसलर मर्केल के साथ व्यापक और लाभप्रद बातचीत की. हमने भारत-जर्मनी संबंधों की पूरी तरह समीक्षा की. चांसलर मर्केल ने अपने आप को दुनिया के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक के रूप में स्थापित किया है. उन्होंने मर्केल को भारत का अच्छा मित्र भी बताया.