नयी दिल्ली : तीस हजारी कोर्ट और साकेत कोर्ट की घटना के बाद कई पुलिसकर्मियों ने किरण बेदी को याद किया है. कई पुलिसकर्मी प्रदर्शन के दौरान बेदी के पोस्टर लिये हुए थे और नारे लगा रहे थे- ‘किरण बेदी शेरनी हमारी’ और ‘हमारा कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’. दरअसल, जनवरी 1988 में एक कॉलेज में एक चोरी के सिलसिले में एक वकील को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने तब के चलन के हिसाब से उस वकील को हथकड़ी लगा कर पेश किया.
तीस हजारी अदालत परिसर में साथी वकील को उस हालत में देख वकीलों ने बड़ा प्रदर्शन किया. तब डीसीपी नॉर्थ का ऑफिस तीस हजारी परिसर में ही था. प्रदर्शन बढ़ने पर तत्कालीन नॉर्थ डीसीपी किरण बेदी ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया. मामला वकील बनाम पुलिस बन गया और लंबे समय तक हड़ताल आदि चलते रहे. आखिरकार बेदी को पद से हटा दिया गया.
पुलिस के ‘विद्रोह’ जैसे हालात की गवाह बनी दिल्ली, 11 घंटे बाद खत्म हुआ धरना
नयी दिल्ली : दिल्ली पुलिस को मंगलवार को उस समय विद्रोह जैसे हालात का सामना करना पड़ा, जब हजारों पुलिसकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और अपने मुखिया पुलिस आयुक्त के वापस जाने (गो बैक) के अनुरोध को नकार दिया.
हालांकि, देर शाम करीब 11 घंटे के बाद वरिष्ठ अधिकारियाें की पहल पर पुलिसकर्मियों ने धरना समाप्त कर दिया. दरअसल, तीस हजारी कोर्ट परिसर में शनिवार को वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुए संघर्ष तथा सोमवार को साकेत कोर्ट के बाहर अपने एक साथी पर हुए हमले के विरोध में मंगलवार को सैकड़ों पुलिसकर्मी सड़क पर उतर गये थे. इस दौरान प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांध रखी थीं और हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
इस बीच, दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को उनसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध करना पड़ा. हालांकि, प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों ने उनकी बात नहीं सुनी. प्रदर्शन के कारण आइटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर जाम लगा गया. इस बीच, पुलिसकर्मियों के परिजन भी इंडियागेट पर विरोध-प्रदर्शन किये. पुलिसकर्मियों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था कि ‘पुलिस वर्दी में हम इंसान हैं’, ‘हाऊ इज द जोश, लो सर’. उन्होंने अपने वरिष्ठों से अनुरोध किया कि वर्दी का सम्मान बचाने की खातिर वे उनके साथ खड़े रहें.
वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच ऐसे बढ़ा विवाद
पार्किंग को लेकर हुई बहस
शनिवार को तीस हजारी कोर्ट कैंपस में पार्किंग को लेकर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झगड़ा हो गया. दरअसल, मुजरिमों को सुनवाई के लिए लाने वाली पुलिस लॉकअप वैन के सामने एक वकील ने कार पार्क कर दी थी. पुलिसवाले ने इसका विरोध किया. दोनों के बीच हुए बहस के बाद अफवाह उड़ गयी कि पुलिसवालों की गोली से एक वकील की मौत हो गयी है. इसके बाद वकील बिफर पड़े और पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया. इसमें 20 पुलिकर्मी घायल हो गये.
हाइकोर्ट का फैसला
तीस हजारी कोर्ट की घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिल्ली हाइकोर्ट ने रविवार को दे दिया. हाइकोर्ट ने इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया था. कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एसपी गर्ग से डेढ़ महीने में जांच रिपोर्ट मांगी है. कहा गया कि वे जांच में सीबीआइ, विजिलेंस, आइबी या जरूरत के हिसाब से किसी भी अफसर की मदद ले सकते हैं. इस मामले में पुलिस के दो सीनियर अफसरों के तबादले का आदेश भी दिया. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट आने तक किसी भी वकील पर दर्ज एफआइआर पर कोई कार्रवाई न हो.
साकेत कोर्ट के बाहर पुलिस पर हमला, हेलमेट से मारा
साकेत अदालत के बाहर सोमवार को वकीलों ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी थी. इसका वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में वकील बाइक पर सवार एक पुलिसकर्मी को पीटते हुए दिखाई दे रहे हैं. वकीलों में से एक को पुलिसकर्मी को थप्पड़ मारते भी देखा गया. जब पुलिसकर्मी घटनास्थल से जा रहे थे, तब वकील ने उसके हेलमेट को उसकी बाइक पर दे मारा. वहीं, पूरे देश में वकीलों ने सोमवार को काम का बहिष्कार कर दिया और प्रदर्शन किया.
नहीं सुनी गयी पुलिस आयुक्त की बात
दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने कहा कि हमें एक अनुशासित बल की तरह व्यवहार करना होगा. सरकार और जनता हमसे कानून व्यवस्था को कायम रखने की उम्मीद रखती है, यह हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है. मैं अनुरोध करता हूं कि आप लोग काम पर लौट जाएं. बीते कुछ दिन हमारे लिए परीक्षा की घड़ी रहे हैं. न्यायिक जांच चल रही है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रक्रिया में भरोसा बनाये रखें, लेकिन प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी उनकी बात नहीं सुने.
ज्वाइंट सीपी के सामने ‘गो बैक’ के नारे
ज्वाइंट सीपी राजेश खुराना भी प्रदर्शनकारियों को समझाने में नाकाम रहे. वह पुलिसवालों को अपनी ड्यूटी की याद दिला रहे थे, तभी प्रदर्शनकारियों ने ‘हमें न्याय चाहिए’, ‘गो बैक’ और ‘मुद्दे की बात करो’ के नारे लगाने लगे. इस बीच, माइक खराब होने से ज्वाइंट सीपी को वापस जाना पड़ा. वहीं, कई लोग पुलिसकर्मियों के समर्थन में आ गये हैं. दिल्ली पुलिस के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी मधुर वर्मा ने सवाल करते हुए लिखा कि मैं क्षमा चाहता हूं. हम पुलिस हैं. हमारा कोई वजूद नहीं है. हमारे परिवार नहीं हैं. हमारे मानवाधिकार नहीं हैं!!! वर्मा फिलहाल अरुणाचल प्रदेश के उप महानिरीक्षक हैं. आइपीएस एसोसिएशन ने भी इस हमले की निंदा की.