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जल्द से जल्द S-400 मिसाइल सिस्टम को भारतीय सेना में शामिल कराने की तैयारी, रूस से होगी बातचीत
रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम को भारतीय सेना में जल्द से जल्द शामिल कराने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है. रूस के साथ एस-400 डील होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश होगा जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम है. इसके पहले चीन और तुर्की के साथ रूस यह डील कर चुका […]
रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम को भारतीय सेना में जल्द से जल्द शामिल कराने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है. रूस के साथ एस-400 डील होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा देश होगा जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम है. इसके पहले चीन और तुर्की के साथ रूस यह डील कर चुका है. बता दें कि दोनों देशों के बीच एस-400 पर करार अक्टूबर 2018 में हुआ था. यह सौदा करीब 543 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपये है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय रूस में हैं. वो आज मॉस्को में होने वाली 19वें भारत-रूस इंटरगर्वमेंटल कमिशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कॉपोरेशन की बैठक में हिस्सा लेंगे. इसमें बैठक में एस-400 की आपूर्ति पर चर्चा होगी. साथ ही इस बैठक में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बी अकुला-1 की लीज को लेकर भी चर्चा की जाएगी.
तीन बिलियन (21,000 करोड़) के इस समझौते पर भारत और रूस के बीच इसी साल मार्च में समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. एस-400 के स्कवाड्रन की वास्तविक डिलीवरी में अक्तूबर 2020 से अप्रैल 2023 के बीच होनी है. भारत के लिए यह मिसाइल कितनी अहम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजनाथ सिंह गुरुवार को सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित प्रोडक्शन फैसिलिटी का दौरा कर सकते हैं.
कितना खतरनाक है एस-400 मिसाइल सिस्टम
-इस मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम एस-400 ट्रायम्फ है जिसे नाटो देशों में एसए-21 ग्रोलर के नाम से पुकारा जाता है. यह लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है जिसे रूस ने बनाया है.
– एस-400 का सबसे पहले साल 2007 में उपयोग हुआ था जो कि एस-300 का अपडेटेड वर्जन है.
– साल 2015 से भारत-रूस में इस मिसाइल सिस्टम की डील को लेकर बात चल रही है. कई देश रूस से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है.
– इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है. अलग-अलग काम करने वाले कई राडार, खुद निशाने को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण एस-400 की दुनिया में काफी मांग है.
-इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है.
-400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है.
-इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप सकता है और अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को दाग सकता है.
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