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अयोध्या मामला : 40 दिन चली सुनवाई, SC के इतिहास का दूसरा मामला, जानें जजों को, जो आज सुनायेंगे ऐतिहासिक फैसला

अयोध्या मामला सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का दूसरा ऐसा मामला रहा, जिसकी 40 दिनों (छह अगस्त से 16 अक्तूबर, 2019) तक नियमित सुनवाई हुई. 6 अगस्त निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में पूरी राम जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा. 7 अगस्त निर्मोही अखाड़े ने दस्तावेज पेश करने पर असमर्थता जाहिर की. कहा-1982 में डकैती में […]

अयोध्या मामला सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का दूसरा ऐसा मामला रहा, जिसकी 40 दिनों (छह अगस्त से 16 अक्तूबर, 2019) तक नियमित सुनवाई हुई.
6 अगस्त निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में पूरी राम जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा.
7 अगस्त निर्मोही अखाड़े ने दस्तावेज पेश करने पर असमर्थता जाहिर की. कहा-1982 में डकैती में दस्तावेज की चोरी हो गयी. वहीं, रामलला विराजमान ने अपना पक्ष रखते हुए जमीन का मालिकाना हक मांगा.
8 अगस्त रामलला विराजमान ने हाइकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया. कहा, जमीन का बंटवारा नहीं करना चाहिए था.
9 अगस्त कोर्ट ने सुनवाई रोजाना करने की बात कही. मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जतायी.
13 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें सुनवाई की कोई जल्द नहीं है. पक्षकार अपने हिसाब से पक्ष रख सकते हैं.
14 अगस्त रामलला विराजमान ने अपने पक्ष में ऐतिहासिक दस्तावेज और पुरातात्विक सबूत पेश किये.
21 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से कहा, आस्था पर कोई सवाल नहीं, पर स्थान का सवाल है. लिहाजा सबूत मुहैया कराएं. रामलला विराजमान ने बहस पूरी की.
22 अगस्त कोर्ट में उन हलफनामों का जिक्र, जिनमें मुस्लिमोंं द्वारा कहा गया था कि विवादित स्थल का मालिकाना हक हिंदुओं को दिये जाने पर कोई एतराज नहीं होगा.
27 अगस्त अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने कहा-मीर बाकी नाम का कोई शख्स नहीं था और न ही यहां पर कभी बाबर आया.
28 अगस्त अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने दलील दी कि राम जन्मभूमि के राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ हुई है.
29 अगस्त मुस्लिम पक्ष ने जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की दलीलों पर आपत्ति जतायी.
30 अगस्त यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्ष का खुल कर समर्थन किया.
2 सितंबर मुस्लिम पक्षकार बोला, ढांचे के नीचे नहीं था विशाल मंदिर का अवशेष.
3 सितंबर मुस्लिम पक्षकार ने दिसंबर 1949 का तिथिवार ब्योरा पेश किया.
4 सितंबर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में माना कि विवादित स्थल पर हिंदू पूजा करते थे.
5 सितंबर निर्मोही अखाड़े के सेवादार होने के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद होने का दावा कर रहे पक्ष के वकील से कई सवाल पूछे.
12 सितंबर मुस्लिम पक्ष ने 22-23 दिसंबर 1949 की रात को घटी घटना को गैरकानूनी बताया, पर माना कि निर्मोही अखाड़ा ही वहां का प्रबंधन देख रहा था.
13 सितंबर कोर्ट ने राम जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति बताते हुए उसकी तरफ से जमीन पर मालिकाना हक का दावा किये जाने का विरोध करने वाले मुस्लिम पक्ष से पूछा कि वे कौन-सी विशेषताएं हैं, जो जन्मस्थान को देवता की तरह न्यायिक व्यक्ति मानने के लिए जरूरी होनी चाहिए.
16 सितंबर जन्मस्थान को देवता मानने का मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में जम कर विरोध किया.
17 सितंबर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या मस्जिद में हो सकती हैं देवी देवताओं की कलाकृतियां?
18 सितंबर कोर्ट ने सभी पक्षकरों को 18 अक्तूबर तक बहस पूरी करने का आदेश दिया. वहीं,मध्यस्थता के जरिये मामले को सुलझाने का एक और अवसर दिया.
19 सितंबर कोर्ट में मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने माफी मांगी.
20 सितंबर मुस्लिम पक्ष ने कहा, सामाजिक और राजनीतिक मकसद की पूर्ति के लिए रामलला की तरफ से मुकदमा दायर किया गया. इसमें पुरानी चीजों को नये ढंग से पेश करने की कोशिश की गयी.
23 सितंबर कोर्ट ने कहा, यदि हिंदुओं की आस्था को चुनौती दी गयी, तो मुश्किल होगी. मुस्लिमों के लिए जैसे मक्का है, वैसे ही हिंदुओं के लिए अयोध्या.
24 सितंबर सुन्नी बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में राम चबूतरा को माना राम जन्मस्थान.
25 सितंबर एएसआइ रिपोर्ट पर सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्ति पर कोर्ट ने उठाये सवाल. बोर्ड ने कहा, विवादित ढांचे के नीचे मंदिर नहीं था.
26 सितंबर कोर्ट ने साफ किया कि सुनवाई 18 अक्तूबर से आगे नहीं बढ़ेगी.
27 सितंबर कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार की दलील को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि एएसआइ की रिपोर्ट विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गयी है, लिहाजा इसे खारिज नहीं किया जा सकता है.
30 सितंबर मुस्लिम पक्षकार ने कहा, बाबर ने उस वक्त जो कुछ किया, उसको अब अदालत नहीं जांच सकती.
1 अक्तूबर हिंदू पक्ष ने कहा, एएसआइ को बदनाम करने की साजिश हो रही है.
4 अक्तूबर कोर्ट ने सुनवाई के लिए तय समय सीमा को घटाते हुए 17 अक्तूबर तक इसे पूरी करने का आदेश दिया.
14 अक्तूबर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा, आखिर हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने से मुस्लिम पक्षकार का दावा कैसे कमजोर हो सकता है? सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील पर बहस हुई पूरी.
16 अक्तूबर सभी पक्षों ने बहस पूरी की. कोर्ट ने पक्षकारों को वैकल्पिक मांगों के मुद्दे पर तीन दिन के अंदर लिखित दलीलें दाखिल करने की छूट दी.
19 अक्तूबर अयोध्या मामले में पक्षकारों ने वैकल्पिक मांगें पेश कीं.
20 अक्तूबर छह मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में वैकल्पिक राहत पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोर्ट अपना फैसला देश के भविष्‍य को ध्यान में रखते हुए ले. पक्ष का कहना था कि इस फैसले का असर भावी पीढ़ियों और देश की राजनीति पर पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट के पांच जज, जो आज सुनायेंगे ऐतिहासिक फैसला
जस्टिस रंजन गोगोई
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस पीठ की अगुआई की. उन्होंने तीन अक्तूबर, 2018 को बतौर मुख्य न्यायाधीश पदभार ग्रहण किया था. 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी.
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े
जस्टिस एसए बोबड़े ने 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था. 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट के एडिशनल जज व बाद में वह मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली.
जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. उनके पिता भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म जौनपुर में हुआ था. वह साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने. 2001 में इलाहाबाद व 2014 में केरल हाइकोर्ट के जज और 2015 में वहीं चीफ जस्टिस बने. मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर
जस्टिस अब्दुल नजीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की. उन्होंने कर्नाटक हाइकोर्ट में प्रैक्टिस की. बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज बने. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.

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