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#AYODHYAVERDICT : जानें किसने क्या कहा

नयी दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला आ गया. फैसके बाद से ही नेताओं की और इस मामले से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है. पढ़ें इस फैसले पर किसने क्या कहा. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को अयोध्या में बाबरी मस्जिद प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले […]

नयी दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर फैसला आ गया. फैसके बाद से ही नेताओं की और इस मामले से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है. पढ़ें इस फैसले पर किसने क्या कहा.

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को अयोध्या में बाबरी मस्जिद प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को भारत की विजय का प्रतीक बताते हुये कहा है कि ‘‘इस फैसले से सौहार्द से साथ में रहने की हमारी भावना की जीत हुई है.’ नायडू ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अयोध्या मामले पर सर्वसम्मति से दिए फैसले के बाद, आवश्यक है कि हम पिछले विवादों को भूल कर भविष्य के सहिष्णु, सौहार्दपूर्ण, संपन्न और शांत भारत के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हों.’

उन्होंने कहा, ‘‘इस निर्णय से सिर्फ भारत की विजय हुई है. सौहार्द से साथ में रहने की हमारी भावना की जीत हुई है. किसी भी प्रकार का भेदभाव हमारी साझा ऊर्जा और क्षमताओं का क्षय करता है. हमारी इस महान भूमि में सभी को समाहित करने की क्षमता है, सभी के लिए सम्मान है.’ उपराष्ट्रपति ने देश में सभी पक्षों से शांति और सौहार्द बनाये रखने की अपील करते हुये कहा, ‘‘आइए हम सब मिलकर शांति और संपन्नता की ओर बढ़ें और अपनी साझा सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध करें.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अयोध्या भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि अदालत के फैसले को किसी की हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए . उन्होंने लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की भी अपील की. उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को एकमत से अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड’ को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाये. हिंदी और अंग्रेजी में किये गए कई ट्वीट में मोदी ने दावा किया कि ये फैसला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कानून के समक्ष सभी लोग समान हैं. उन्होंने कहा, ‘‘राम भक्ति हो या रहीम भक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारत भक्ति की भावना को सशक्त करने का है. देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें.’ मोदी ने कहा, ‘‘देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है.
इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि ‘न्याय के मंदिर’ (उच्चतम न्यायालय) ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया. उन्होंने कहा, “आज के फैसले को लेकर 130 करोड़ भारतीयों का शांति और संयम का परिचय देना भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देता है.
एकजुटता की यह भावना हमारे राष्ट्र के विकास पथ को शक्ति प्रदान कर सकती है. हर भारतीय को सशक्त बनाया जा सकता है.” मोदी ने कहा कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में आम लोगों के विश्वास को और मजबूत करेगा. हर किसी को अपना नजरिया रखने के लिये पर्याप्त समय दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है. यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है. हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया. यह (फैसला) हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और दूरदर्शिता की पुन:पुष्टि करता है. शांति और सद्भाव बना रहे.’
शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी
दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शनिवार को कहा कि अयोध्या मामले को अब आगे नहीं बढ़ाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की जरूरत नहीं है . उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि अब देश में सांप्रदायिक तनाव के लिए जगह नहीं होगी और आगे से ऐसे मुद्दों को हवा नहीं दी जाएगी. बुखारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने पहले भी कहा था कि देश कानून और संविधान के अमल पर चलता है.
134 साल से चल रहे विवाद का अंत हुआ. पांच सदस्यीय पीठ ने निर्णय लिया. गंगा जमुनी संस्कृति और सद्भाव को देखते हुए कि यह प्रयास करना होगा कि आगे देश को इस तरह के विवाद से नहीं गुजरना पड़े.” उन्होंने कहा, ‘‘देश संविधान के तहत चले, कानून का अमल होता रहे, सांप्रदायिक तनाव नहीं हो और समाज नहीं बंटे, इसके लिए सभी को अपनी भूमिका अदा करनी होगी. हिंदू-मुस्लिम की बात बंद होनी चाहिए और देश को आगे बढ़ाने के लिए सब मिलकर चलें.”
शाही इमाम ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि देश सद्भाव की तरफ आगे बढ़ेगा. फैसले के खिलाफ अपील से जुड़े ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान के बारे में पूछे जाने पर बुखारी ने कहा, ‘‘मेरी अपनी राय है कि मामले को ज्यादा बढ़ाना उचित नहीं है. पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय में जाना बेहतर नहीं है.” उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय पहले से कहता रहा है कि वह फैसले का सम्मान करेगा और अब फैसला आने के बाद लोग इससे सहमत हैं.
गृहमंत्री अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने राम मंदिर मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया. अमित शाह ने सभी समुदाय से उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करने की अपील करते हुए शांति बनाए रखने और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को लेकर प्रतिबद्ध रहने को कहा. देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं. कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है.
उमा भारती
भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुये कहा है कि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस फैसले से स्पष्ट है कि राम जन्मभूमि आंदोलन में पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका सराहनीय थी. मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहीं भारती ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘देश के नागरिक के नाते मैं भी इस निर्णय का अभिनंदन कर रही हूं. सभी समुदाय के लोगों ने स्वागत किया है, हम भी उसके सुर में सुर मिलायेंगे.’ उन्होंने कहा कि फैसला सुनाये जाने के बाद उन्होंने आडवाणी से मिलकर आशीर्वाद लिया.
उन्होंने आंदोलन के नेता विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल की भी सराहना की. भारती ने कहा कि मंदिर निर्माण के प्रति आडवाणी का समर्पण भाजपा की सफलता के मूल में है और इसने पार्टी की सत्ता में वापसी सुनश्चित की है. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने शनिवार को सर्वसम्मति से अपने फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की राहें खोल दीं और उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी में एक ‘‘प्रमुख’ जगह पर नयी मस्जिद के निर्माण के लिये इसके एवज में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित करने का केंद्र को निर्देश दिया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुये शनिवार को कहा कि देश की एकता और सद्भावना बनाए रखने में सभी सहयोग करें . उन्होंने ट्वीट किया, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत है, देश की एकता एवं सद्भाव बनाए रखने में सभी सहयोग करें. उत्तर प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है.
राहुल गांधी
अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि इस फैसले का सम्मान होना चाहिए और परस्पर सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए. गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘उच्च्तम न्यायालय ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है. ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व,विश्वास और प्रेम का है.’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि नयी मस्जिद के निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया.
प्रियंका गांधी

अयोध्या के फैसले पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान हर व्यक्ति को करना चाहिए
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
गडकरी ने शनिवार को जनता से अपील की कि लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते वे अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करें. उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आबंटित की जाये . उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकतांत्रिक देश की जनता होने के नाते अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय का फैसले सभी को स्वीकार करना चाहिए. न्यायपालिका में हम सभी का विश्वास है. लोगों को शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहिए.’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत
अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत और ‘अंतिम निर्णय’ हुआ है और अब अतीत की बातों को भुलाकर सभी को मिलकर भव्य राममंदिर का निर्माण करना है उन्होंने हालांकि काशी और मथुरा के सवाल पर सीधे जवाब नहीं देते हुए कहा ,‘‘आंदोलन करना संघ का काम नहीं है .’ उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आवंटित की जाये. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया.
भागवत ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद ही पत्रकार वार्ता में कहा ,‘‘ रामजन्मभूमि के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस देश की जनभावना , आस्था और श्रद्धा को न्याय देने वाले निर्णय का संघ स्वागत करता है . दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधिसम्मत अंतिम निर्णय हुआ है .’ उ
न्होंने देशवासियों से संयम बनाये रखने की अपील करते हुए कहा ,‘‘ इस निर्णय को जय, पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिये .’ संघ प्रमुख ने कहा ,‘‘संपूर्ण देशवासियों से अनुरोध है कि विधि और संविधान की मर्यादा में रहकर संयमित और सात्विक रीति से अपने आनंद को अभिव्यक्त करें .’ भागवत ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस विवाद के समापन की दिशा में न्यायालय के निर्णय के अनुरूप परस्पर विवाद को समाप्त करने वाली पहल सरकार की ओर से शीघ्र होगी . उन्होंने कहा ,‘‘अतीत की सभी बातों को भुलाकर हम सभी मिलकर रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर के निर्माण में अपने कर्तव्य का पालन करेंगे .’ अयोध्या के बाद काशी और मथुरा में भावी योजना के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा ,‘‘ संघ आंदोलन नहीं करता , संघ का काम मनुष्य निर्माण है .
कुछ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है , मेरे अखिल भारतीय पदाधिकारी बनने के पहले , उसके कारण संघ इस (रामजन्मभूमि) आंदोलन में एक संगठन के नाते जुड़ गया जो एक अपवाद है .’ उन्होंने कहा ,‘‘ आगे हम मनुष्य निर्माण के कारण में जुड़ जायेंगे . आंदोलन के विषय हमारे विषय नहीं रहते तो हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते .’ पांच एकड भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया के सवाल पर संघ प्रमुख ने कहा ,‘‘यह न्यायालय का निर्णय है . इसे हम स्वीकार करते हैं . मैने विजयादशमी के भाषण में भी कहा था कि हम फैसला मानेंगे और हम मान रहे हैं.
हमें विवाद समाप्त करना है .’ मस्जिद अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थल पर बनाने के न्यायालय के फैसले से क्या वह सहमत है , इस बारे में पूछने पर भागवत ने कहा,‘‘ न्यायालय ने जो बताया है, उसका अर्थ निकालेंगे , अध्ययन करेंगे . सरकार जमीन के बारे में तय करेगी .’ उन्होंने कहा ,‘‘ विवाद को समाप्त करने की पहल सरकार की तरफ से हो . एक जगह पूजा भी हो और दूसरा भी… . हमें इस पर कोई दुविधा नहीं है लेकिन समाज एक दूसरे पर चलता है . यह बात समाप्त होनी चाहिये . यह हमारी इच्छा थी, जो पूरी हो गई . आगे की प्रक्रिया सरकार देखेगी .’ यह पूछने पर कि इस विवाद का हल आपसी सहमति से भी निकल सकता था, उन्होंने कहा कि इसकी पहल पहले हुई थी लेकिन सफल नहीं हुई और तभी यहां तक बात आई . उन्होंने कहा कि ठीक है देर आये, दुरूस्त आये . मुस्लिमों के लिये उनका क्या संदेश होगा, इस सवाल पर भागवत ने कहा,‘‘ भारत का नागरिक तो भारत का नागरिक है , उसमें हिंदू मुस्लिम के लिये अलग संदेश क्यों . हम सबको मिलकर रहना है, देश को आगे बढा़ना है . यह सदा सर्वदा के लिये हमारा संदेश है .’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने न्यायालय के फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा. इस बारे में पूछने पर भागवत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हुए कहा ,‘‘जिन्होंने कहा है, आप उनसे पूछिये .’ रामजन्मभूमि न्यास के भविष्य के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को मिलकर राममंदिर बनाने के लिये काम करना है . उन्होंने कहा ,‘‘ आगे की गतिविधि जैसे बनती जायेगी, उसके रास्ते निकलते जायेंगे . हमने कोई आग्रह नहीं किया है . रामजन्मभूमि न्यास को मंदिर के लिये स्थान दिया गया है और सरकार को न्यास बनाने के लिये कहा है . हम सभी को मिलकर काम करना है .’ विश्व हिंदू परिषद की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा ,‘‘ विहिप अपनी भूमिका खुद तय करेगा .’
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी
शनिवार को अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायलय के फैसले को ‘‘तथ्यों पर विश्वास की जीत’ करार दिया है . हैदराबाद के सांसद ने शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं . पूर्व प्रधान न्यायाधीश के बयान का हवाला देते हुए ओवैसी ने संवाददाताओं से यहां बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय वस्तुत: सर्वोच्च है लेकिन उनसे भी गलती हो सकती है. इस तेज तर्रार नेता ने कहा कि हालांकि, उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम है, लेकिन ‘‘हम लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं . ‘

अयोध्या लीड वक्फ बोर्ड
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए शनिवार को कहा कि वह इस फैसले को चुनौती नहीं देगा. बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कोई वकील या अन्य व्यक्ति बोर्ड की तरफ से न्यायालय के फैसले को चुनौती देने की बात कह रहा है तो उसे सही न माना जाए. उल्लेखनीय है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जीलानी ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अयोध्या मामले में न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी जाएगी. हालांकि जीलानी ने बाद में ‘भाषा’ से बातचीत में स्पष्ट किया कि वह आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का संवाददाता सम्मेलन था और उन्होंने वह बात इसी बोर्ड के सचिव की हैसियत से कही थी, न कि वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से. फारुकी ने कहा कि वक्फ बोर्ड फिलहाल अदालत के निर्णय का अध्ययन कर रहा है.
वह उसके बाद इस पर विस्तृत बयान देगा. ज्ञातव्य है कि बोर्ड ने अयोध्या मामले में गठित मध्यस्थता समिति को पिछले माह प्रस्ताव दिया था कि वह कुछ शर्तों के आधार पर विवादित स्थल से अपना दावा छोड़ने को तैयार है. फारुकी ने कहा था कि उन्होंने देशहित में यह प्रस्ताव दिया है. न्यायालय ने शनिवार को अपने बहुप्रतीक्षित फैसले के तहत अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन दे. न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया.
मुख्तार अब्बास नकवी
अयोध्या के फैसले को ‘हार के हाहाकार और जीत के जुनूनी जश्न’ से बचाना चाहिए: नकवी नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को कहा कि इस न्यायिक निर्णय को ‘हार के हाहाकार और जीत के जुनूनी जश्न’ से बचाना चाहिए. नकवी ने एक बयान में कहा, ‘‘ दशकों पुराने अयोध्या मामले के निपटारे के लिए सर्वोच्च न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है. हम सभी को इसे तहेदिल से स्वीकार और इसका सम्मान करना चाहिए.
अपने मुल्क की एकता, सौहार्द, भाईचारे की ताकत को मजबूत करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है.’ उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले को किसी की हार और किसी की जीत के रूप में नहीं देखना चाहिए, यह एक न्यायिक फैसला है. इस न्यायिक फैसले को हार के हाहाकार और जीत के जुनूनी जश्न से बचाना चाहिए.’ गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि नयी मस्जिद के निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया.
शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने अयोध्या मामले में शनिवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सभी को फैसले का सम्मान करना चाहिए. चौहान ने फैसले के बाद ट्वीट किया, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम सभी सम्मान करें, आदर करें और स्वागत करें. किसी की हार नहीं हुई है. हमारे देश ने सदैव दुनिया को शांति का संदेश दिया है. मैं देश और प्रदेशवासियों से अपील करता हूँ कि आपस में एकता, प्रेम, सद्भाव और भाईचारा बनाए रखें.’ इस बीच, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इस फैसले का स्वागत किया.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को यहां कहा कि सभी को इसका स्वागत करना चाहिए. गहलोत ने अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा कि आज के दिन जो फैसला आया है, सभी को उसका स्वागत करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक फैसला है और हम शांति एवं सद्भाव की अपील करते हैं.’
आध्यात्मिक नेता श्रीश्री रविशंकर
फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह दोनों समुदायों के लोगों के लिये राहत लेकर आया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कई दशकों से जारी विवाद खत्म हुआ और साथ ही उन्होंने लोगों से शांति एवं सौहार्द बनाए रखने की अपील की. केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय की पीठ के पांचों न्यायाधीशों ने एकमत से आज अपना निर्णय दिया. हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. कई दशकों के विवाद पर आज उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया. वर्षों पुराना विवाद आज खत्म हुआ .
मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति एवं सौहार्द बनाए रखें.’ उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या में विवादित स्थल राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुये केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि ‘सुन्नी वक्फ बोर्ड’ को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ भूमि आबंटित की जाये .
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने भारतीय इतिहास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस व्यवस्था के साथ ही करीब 130 साल से चले आ रहे इस संवेदनशील विवाद का पटाक्षेप कर दिया. इस विवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था.
अयोध्या फैसला: वामदलों ने किया स्वागत, देशवासियों से की अमन बनाये रखने की अपील
वामदलों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का शनिवार को स्वागत करते हुये सभी पक्षों से इसे स्वीकार कर देश में अमन चैन कायम रखने की अपील की है. न्यायालय का फैसला सुनाये जाने के बाद माकपा पोलित ब्यूरो द्वारा जारी बयान में देश में वर्षों से चल रहे इस विवाद का सर्वोच्च अदालत के निर्णायक फैसले से पटाक्षेप होने पर खुशी जतायी. पोलित ब्यूरो ने कहा कि अदालत ने अयोध्या में हिंदू पक्ष को एक ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर निर्माण के लिये विवादित 2.77 एकड़ जमीन दी है, साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिये पांच एकड़ जमीन दिए जाने का फैसला दिया है.
पार्टी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस विवाद को खत्म करने की स्वागतयोग्य पहल की है ताकि इस मामले को ढाल बनाकर व्यापक पैमाने पर हिंसा फैलाने वाली ताकतें जनधन की हानि न कर सकें . पोलित ब्यूरो ने कहा कि माकपा का शुरु से ही मानना रहा है कि इस विवाद का सर्वमान्य हल सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से नहीं हो पाने की स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया से ही निकाला जाना चाहिये.
पार्टी ने कहा कि अदालत के फैसले में भी बाबरी मस्जिद को 1992 में ढहाये जाने को कानून का उल्लंघन बताया है. पार्टी ने कहा कि मस्जिद गिराने के मामले का भी फैसला जल्द सुनाया जाना चाहिये जिससे कानून तोड़ने वाले दोषियों को सजा मिल सके. पोलित ब्यूरो ने सभी पक्षों से इस फैसले के परिप्रेक्ष्य में ऐसा कोई भड़काऊ काम नहीं करने की अपील की है जिससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित होता हो. भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘अदालत का फैसला सभी पक्षों के लिये स्वीकार्य होना चाहिये. समाज के सभी वर्गों की जिम्मेदारी है कि वे शांति और सौहार्द बनाये रखें, जो कि भारतीय संस्कृति के मूल में है और यही वक्त की पुकार है.’

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