छह मुद्दों पर दोनों के पक्ष

हिंदू पक्ष निर्मोही अखाड़े ने पूरी 2.77 एकड़ जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया. वहीं, रामलला विराजमान ने भी दावा किया कि पूरी जमीन पर उसका हक है. मुस्लिम समाज वर्ष 1949 से नमाज नहीं पढ़ रहा, क्योंकि ढांचे के आसपास कई कब्रें हैं. वहां मुंह करके नमाज की इजाजत में नहीं है. विवादित स्थल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2019 1:44 AM

हिंदू पक्ष

  • निर्मोही अखाड़े ने पूरी 2.77 एकड़ जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया. वहीं, रामलला विराजमान ने भी दावा किया कि पूरी जमीन पर उसका हक है.
  • मुस्लिम समाज वर्ष 1949 से नमाज नहीं पढ़ रहा, क्योंकि ढांचे के आसपास कई कब्रें हैं. वहां मुंह करके नमाज की इजाजत में नहीं है.
  • विवादित स्थल पर ईसा पूर्व विशाल मंदिर था. उस पर जबर्दस्ती मस्जिद का निर्माण कराया गया. इसलिए वह गैर इस्लामिक.
  • निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट में बताया कि 1982 में हुई चोरी में जमीन संबंधी सभी दस्तावेजों की चोरी हो गयी.
  • रामलला स्वयं में एक पक्षकार हैं, क्योंकि विवि के अनुसार मूर्ति न्यायिक व्यक्ति है. राम जन्मभूमि खुद में एक देवता है.
  • मुस्लिम संस्कृति का उन प्रतीकों से कोई लेना-देना नहीं, जो खुदाई में निकले पत्थरों पर चित्रित थे. इनमें मगरमच्छ व कछुए हैं.
  • मुस्लिम पक्ष
  • हिंदुओं का दावा सिर्फ विश्वास पर आधारित है. निर्मोही को संपत्ति से लगाव नहीं होता. इसके बावजूद निर्मोही अखाड़ा जमीन पर दावा कर रहा.
  • इससे हिंदुओं का अधिकार साबित नहीं होता कि वहां नमाज बंद है. अगर हम घर से कहीं चले जाएं, तो उस पर दूसरे का हक नहीं होता.
  • जिसे गर्भगृह कहा जा रहा है, वहां 1939 तक कोई मूर्ति नहीं थी. वहां पर केवल एक फोटो था. गवाहों का दावा अविश्वसनीय है.
  • विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद ही थी. इसका उल्लेख तीन शिलालेखों में उपलब्ध है.
  • रामलला स्वयं में एक पक्षकार नहीं हैं. देवता निराकार नहीं, साकार ही होंगे. लिहाजा राम जन्मभूमि न्यायिक व्यक्ति नहीं.
  • पूरे क्षेत्र को जन्मस्थान नहीं माना जा सकता. रामचरित मानस या रामायण में रामजन्मभूमि का कोई उल्लेख नहीं मिलता है.

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