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Ayodhya Verdict : इस फैसले से इतिहास में दर्ज हो गया जस्टिस गोगोई का नाम

नयी दिल्ली : देश के बहुचर्चित और सबसे पुराने अयोध्या भूमि विवाद को लेकर वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले बाद से जस्टिस गोगोई का कार्यकाल इतिहास में दर्ज हो जायेगा. आइए, जानते हैं कौन हैं जस्टिस गोगोई, कैसे बने […]

नयी दिल्ली : देश के बहुचर्चित और सबसे पुराने अयोध्या भूमि विवाद को लेकर वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले बाद से जस्टिस गोगोई का कार्यकाल इतिहास में दर्ज हो जायेगा.

आइए, जानते हैं कौन हैं जस्टिस गोगोई, कैसे बने सीजेआइ. उनके कार्यकाल में कौन से बड़े फैसले लिये गये. जस्टिस गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को असम में हुआ था. असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे रंजन गोगोई देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पूर्वोत्तर के पहले व्यक्ति हैं.

उन्होंने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. इसके बाद साल 2001 में बतौर जज गोगोई ने करियर की शुरुआत गुवाहाटी हाइकोर्ट से की. 2010 में पंजाब व हरियाणा हाइकोर्ट में जज बने, फिर 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. इसके बाद अक्तूबर 2018 में जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद गोगोई ने देश के 46वें सीजेआइ के रूप में कमान संभाली.

बहुचर्चित फैसले
सबरीमला मंदिर: छह फरवरी को केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर 45 रिव्यू पिटीशनों पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था.

राफेल मामला: राफेल घोटाला में रिव्यू पिटीशनों पर सुनवाई की थी.
इन पांच जजों ने की पूरे मामले की सुनवाई, 134 साल पुराने न्यायिक विवाद पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े
1978 में बार काउंसिल महाराष्ट्र ज्वाइन किया. 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट के एडि जज व बाद में मप्र हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2013 से सुप्रीम कोर्ट में.
जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़
2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने. पिता भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे. सुप्रीम कोर्ट से पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
जस्टिस अशोक भूषण
1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने. 2001 में इलाहाबाद व 2015 में केरल हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर
1983 में वकालत शुरू. कर्नाटक हाइकोर्ट में प्रैक्टिस की. बाद में वहां परमानेंट जज बने. 2017 को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.

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