#AyodhyaVerdict: मुस्लिम लेखकों ने भी माना था कि वहां था मंदिर
नई दिल्ली : अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना कर 400 साल से चले आ रहे विवाद को खत्म कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एएसआइ की रिपोर्ट को आधार मानते हुए विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत दे दी. 40 दिनों तक चली सुनवाई के दौरान कोर्ट में […]
नई दिल्ली : अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना कर 400 साल से चले आ रहे विवाद को खत्म कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एएसआइ की रिपोर्ट को आधार मानते हुए विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत दे दी. 40 दिनों तक चली सुनवाई के दौरान कोर्ट में उन तमाम पुस्तकों का उल्लेख किया गया, जिसमें राम मंदिर होने का जिक्र है. इन लेखकों में हिंदू, मुस्लिम और अंग्रेज, तीनों शामिल हैं.
1856 में मिर्जाजान ने अपनी किताब ‘हदीकाए शहदा’ में लिखा है कि सुल्तानों ने इस्लाम के प्रचार को शह दी. कूफ्र (हिंदू विचार) को कूचला. अवध राम के पिता की राजधानी थी. जिस स्थान पर मंदिर था, वहां बाबर ने सरबलंद मस्जिद बनवायी.
हाजी मोहम्मद हसन ने 1878 में छपी अपनी किताब ‘जियाए अख्तर’ में लिखा है कि अलहिजरी 923 में राजा रामचंद्र के महल सराय तथा सीता रसोई को ध्वस्त कर दिल्ली के बादशाह के हुक्म से बनायी गयी मस्जिद में अब दरारें पड़ गयी हैं. शेख मोहम्मद अजमत अली कांकरोली ने 1869 में ‘तारीखे अवध’ और ‘मुरक्काए खुसरवी’ नामक किताबों में भी मंदिर की जगह मस्जिद बनाने का जिक्र किया है.
मौलवी अब्दुल करीम ने 1885 में ‘गुमगश्ते हालत अयोध्या अवध’ में कहा है कि रामजन्म स्थान और रसोई की जगह बाबर ने एक अजीम मस्जिद बनवायी. ‘आइने अकबरी’ में लिखा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि को वापस पाने के लिए हिंदुओं ने कई हमले किये.
आईने अकबरी में भी अयोध्या में राम जन्मभूमि का उल्लेख
अंग्रेजों ने भी किया है मंदिर का जिक्र
विलियम फोस्टर की 1921 में प्रकाशित बुक ‘ट्रेवल्स इन इंडिया, 1583-1619’ में लिखा गया है कि विलियम फिंच नामक यूरोपीय यात्री 1608 से 1611 तक भारत में रहा और उसने अयोध्या की यात्रा की. उसने कहा था कि हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान राम ने यहां जन्म लिया था. ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ता मोंटगोमरी ने 1838 में ‘मार्टिन हिस्ट्री एंटीक्विटीज टोपोग्राफी एंड स्टैटिस्टिक्स ऑफ इस्टर्न इंडिया’ के खंड-2 में लिखा है कि मस्जिद में इस्तेमाल किये गये स्तंभ राम मंदिर से लिये गये हैं.
एडवर्ड थार्नटन ने ‘गजेटियर ऑफ दि टेरिटेरीज अंडर द गर्वनमेंट ऑफ ईस्ट इंडिया कंपनी’ में लिखा है कि बाबरी मस्जिद पुराने हिंदू मंदिर के 14 खंभों पर बनायी गयी है. कनिंघम ने ‘लखनऊ गजेटियर’ में लिखा है कि अयोध्या में राम मंदिर तोड़े जाते समय हिंदुओं ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी.
फैसले से पहले कोर्ट ने ढेरों साक्ष्यों का किया अवलोकन
सीजेआइ रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 533 दस्तावेजों का अवलोकन किया. इनमें धार्मिक ग्रंथ, यात्रा वृत्तांत, पुरातात्विक खुदाई की रिपोर्ट, मस्जिद गिराये जाने की घटना से पहले के इस स्थान की तस्वीरों और विवादित स्थल पर मिली कलाकृतियों का अध्ययन शामिल है.
पीठ ने स्तंभों पर उकेरी हुई लिपि के अनुवाद और राजपत्र में शामिल दस्तावेजों का भी अध्ययन किया. इतिहासकारों, धार्मिक मामलों और पुरातत्व विशेषज्ञों सहित 88 से अधिक गवाहों के मौखिक साक्ष्य का भी अवलोकन किया.