नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की ओर से अयोध्या में राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करने संबंधी फैसले के बाद देश में शांति बनाए रखने एवं किसी भी भड़काऊ एवं शरारती गतिविधि को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है.
बड़े पैमाने पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई. गहन गश्त किया जा रहा है और सोशल मीडिया मंचों की भी निगरानी की जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय नार्थ ब्लॉक से लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है. पूरे देश में निगरानी कर रहे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, खुफिया एजेंसियों और राज्य पुलिस बलों को सतर्क रहने को कहा गया है.
इधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद रविवार को प्रमुख हिंदू और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ बैठक की.
अधिकारियों ने इस बारे में बताया. उन्होंने बताया कि धार्मिक नेताओं ने शांति और सद्भाव बनाए रखने के सभी प्रयासों में सरकार को निरंतर समर्थन देने का संकल्प जताया.
कुछ राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा हालात का फायदा उठाने की कोशिश की आशंका के बीच उन्होंने अमन-चैन बनाए रखने की अपील की. डोभाल के आवास पर यहां चार घंटे की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक बैठक में जिन्होंने हिस्सा लिया, वो इस तथ्य से वाकिफ हैं कि देश के बाहर और भीतर, कुछ राष्ट्रविरोधी और असमाजिक तत्व हमारे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं. डोभाल के घर पर हुई बैठक में योगगुरु बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद, अवधेशानंद गिरि शिया मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद, मौलाना अरशद मदनी और स्वामी चिदानंद सरस्वती शामिल थे.
फैसला आने के बाद शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, गृह सचिव अजित भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार के साथ बैठक की.
उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई मुख्यमंत्रियों से भी बात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया.