सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने अयोध्या फैसले के लिए प्रधान न्यायाधीश गोगोई की प्रशंसा की

गुवाहाटीः सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने रविवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का सही ढंग से हल निकालने और अति संवेदनशील मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए जमकर प्रशंसा की. यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में देश के अगले नामित प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने कहा कि न्यायमूर्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2019 9:58 AM

गुवाहाटीः सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने रविवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का सही ढंग से हल निकालने और अति संवेदनशील मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए जमकर प्रशंसा की. यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में देश के अगले नामित प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई का धैर्य, साहस और चरित्र इतना मजबूत है कि कुछ भी गलत हो पाना मुश्किल है.

शनिवार को सर्वसम्मत फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति गोगोई ने हालांकि रविवार को कार्यक्रम में फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा कि मैं किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर बात नहीं करना चाहता. यह सही मौका नहीं है. न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि मैं स्वयं को न्यायमूर्ति गोगोई के साथ काम करने का अवसर मिलने के लिए सौभाग्यशली मानता हूं जिनका धैर्य, साहस और चरित्र इतना मजबूत है कि कुछ भी गलत होना मुश्किल है.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सभी नागरिकों के कल्याण के लिए बनाया गया है और एक स्वतंत्र न्यायपालिका इस उद्देश्य को पूरा करने वाले उपकरणों में से एक है. उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकाशित ‘कोर्ट्स ऑफ इंडिया: पास्ट टू प्रेजेंट’ के असमिया संस्करण के विमोचन के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा कि आज हम इसकी विरासत और उपलब्धि को स्वीकार करने और उसका जश्न मनाने के लिए यहां जुटे हैं.

एक अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश अरूण मिश्रा ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई ने देश के समक्ष मौजूद सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनिर्णय पर निर्णय दिया. न्यायमूर्ति श्रीपति रवीन्द्र भट ने कहा कि कल हमने इतिहास बनते देखा और मुझे विश्वास है कि भारतीय न्यायिक इतिहास में यह अमिट रहेगा.

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