नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पड़ोसी इलाकों नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में एक बार फिर से हवा बेहद खराब हो गयी है, जिसके चलते दिल्ली के साथ ही इन इलाकों में बुधवार को सभी स्कूलों को 14 और 15 नवंबर को बंद करने का फैसला किया गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रदूषण रोधी समिति ईपीसीए ने बुधवार को दिल्ली में प्रदूषण के ‘आपातकालीन’ स्तर के करीब पहुंचता देख अगले दो दिन तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासनों ने स्कूलों को बंद रखने के संबंध में अलग से आदेश जारी किये हैं.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के कारण पैदा प्रदूषण से हवा की गुणवत्ता खराब होने के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने गुरुवार और शुक्रवार को स्कूलों बंद रखने का फैसला किया है. ईपीसीए समिति ने लोगों को जहां तक संभव हो, बाहर जाने से बचने और घर में रहकर काम करने की सलाह दी. पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिल्ली-एनसीआर में ‘हॉट-मिक्स प्लांट्स’ और ‘स्टोन-क्रशर’ पर लगे प्रतिबंध को भी 15 नवंबर तक बढ़ा दिया.
शीर्ष अदालत ने चार नवंबर को अगले आदेश तक क्षेत्र में निर्माण संबंधी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी. वहीं, दिल्ली के स्कूलों में बाहरी गतिविधियों को बुधवार को स्थगित कर दिया गया, क्योंकि पिछले 15 दिनों में तीसरी बार मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों ने शहर में प्रदूषण के स्तर को आपातकालीन स्तर की ओर धकेल दिया. इस महीने की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के स्तर के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के बाद सभी स्कूलों को चार दिनों के लिए बंद कर दिया था.
वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद 5 नवंबर को स्कूल फिर से खुले थे. शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार की शाम चार बजे 425 था, जो बुधवार को शाम चार बजे 456 दर्ज किया गया. रोहिणी और द्वारका सेक्टर आठ शहर के सबसे अधिक प्रदूषित इलाके रहे जहां एक्यूआई 494, नेहरू नगर 491 और जहांगीरपुरी 488 दर्ज की गयी. इसके साथ ही, फरीदाबाद(448), गाजियाबाद (481), ग्रेटर नोएडा (472), गुड़गांव (445) और नोएडा (479) में भी लोगों का दम घुटता रहा.