यूपीएससी मामला:ग्रेडिंग में नहीं जुड़ेंगे अंग्रेजी के अंक पर सी-सैट रहेगा जारी

नयी दिल्लीःसंघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा के सीसैट प्रश्न-पत्र में अंग्रेजी के सवालों के अंक मेरिट में न जोडने की सरकार की घोषणा के बीच आधिकारिक सूत्रों ने यह साफ किया है कि आगामी प्रारंभिक परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 24 अगस्त को ही होगी. प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2014 3:56 PM

नयी दिल्लीःसंघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा के सीसैट प्रश्न-पत्र में अंग्रेजी के सवालों के अंक मेरिट में न जोडने की सरकार की घोषणा के बीच आधिकारिक सूत्रों ने यह साफ किया है कि आगामी प्रारंभिक परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 24 अगस्त को ही होगी.

प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग रही है कि यूपीएससी जब तक नए पैटर्न को अपना न ले तब तक प्रारंभिक परीक्षा की तारीख टाल दी जाए. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी और प्रतिष्ठित परीक्षा संचालित करने वाली यूपीएससी संसद में आज सरकार की तरफ से की गई सभी घोषणाएं लागू करेगी.

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने आज संसद में कहा कि 2011 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए छात्रों को अगले साल की परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका दिया जाएगा. सिंह ने यह भी कहा, ‘‘यूपीएससी परीक्षा में अंग्रेजी के अंक ग्रेडेशन या मेरिट में शामिल नहीं किए जाएंगे.’’ हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि सीसैट पैटर्न में बदलाव किए जाएं.

गौरतलब है कि परीक्षा के पैटर्न में बदलाव पर विचार करने के लिए गठित अरविंद वर्मा समिति ने सिफारिश की थी कि परीक्षा की तारीख में कोई बदलाव न किया जाए.

इससे पहले आज सीसैट को लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी भाषा वाले प्रश्न के अंकों को ग्रेडिंग या मेरिट में सम्मलित नहीं किया जायेगा. किन्तु सरकार ने यह भी कहा कि सीसैट प्रणाली में बदलाव करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं है.

वहीं छात्र सरकार के इस घोषणा से बिल्कुल सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि समस्या केवल अंग्रेजी नहीं है. समस्या सीसैट को लेकर है. इसे समाप्त किया जाना चाहिए.

सीसैट को लेकर लोकसभा में दिये गये बयान पर आज राज्य सभा में भी जोरदार हंगामा हुआ. विपक्षी पार्टियों ने जितेंद्र सिंह के लोकसभा में दिये गये बयान पर सरकार को सफाई देने की मांग की. विपक्षी सदस्यों ने भाषा के आधार पर छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया.

राज्यसभा में भाकपा के डी राजा, माकपा के पी राजीव तथा दक्षिण भारत के कई सांसदों द्वारा सी-सैट परीक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करवाने का मुद्दा उठाने पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार की इस घोषणा से यह परीक्षा भाषा के संदर्भ में तटस्थ लैंग्वेज न्यूट्रल हो गई है और अब इसमें अंग्रेजी का सवाल ही नहीं रह गया है.

उच्च सदन में मंत्री के इस बयान को लेकर अन्नाद्रमुक, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस तथा वाम दलों के कुछ सदस्यों ने भारी विरोध जताते हुए सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि उनका ‘‘ लैंग्वेज न्यूट्रल’’ से क्या अर्थ है तथा क्या हिंदी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी छात्रों को यह परीक्षा देने की अनुमति मिलेगी.

मंत्री के बयान के बाद इस मुद्दे पर हंगामे के कारण उच्च सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद शाम करीब पांच बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी.हंगामे के बीच ही कार्मिक मंत्री सिंह ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि ‘‘ लैंग्वेज न्यूट्रल’’ से उनका यह तात्पर्य था कि परीक्षा में भाषा के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं हो.

विभिन्न दलों के सदस्य इस मुद्दे पर मंत्री से स्पष्टीकरण मांगने की मांग पर अडे रहे. लेकिन उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि मंत्री ने यह बयान सदस्यों की मांग पर दिया है और नियमों के अनुसार सदस्य इस बयान पर स्पष्टीकरण नहीं मांग सकते. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा की जा सकती है.

लेकिन हंगामा कर रहे सदस्य स्पष्टीकरण की अपनी मांग पर कायम रहे और दो बार के स्थगन के बाद बैठक को अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया.

लोकसभा में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि हिन्दी भाषी छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुई सरकार ने यह तय किया है कि अंग्रेजी के मार्क्स को मेरिट या ग्रैडिंग में नहीं जोडा जाएगा. और सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि मौजूदा सीसैट प्रणाली को चलने दिया जाय जैसा कि समिति ने सिफारिश किया है. सरकार ने यह भी कहा कि 2011 में सिविल सर्विस की परीक्षा दे चुके परीक्षार्थियों को 2015 में भी बैठने का एक और मौका मिलेगा. हालांकि अभी इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक के बाद किया जाएगा.

वहीं विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि सरकार की ओर से जारी किये गये इस बयान में छात्रों के मूल समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया है. छात्रों ने कहा कि यह बयान सरकार की ओर से दिये गए ‘लॉलीपॉप’ सा है. मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के इस बयान के बाद छात्रों ने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है.

यूपीएससी सीसैट और इस परीक्षा में अंग्रेजी को तवज्जो दिये जाने को लेकर छात्र पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. संसद के वर्तमान सत्र में भी यह विषय कई बार उठा था. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले हिन्दी भाषी क्षेत्र के छात्र सीसैट का विरोध कर रहे हैं. उनका दावा है कि सीसैट की वजह से सभी छात्रों को समान अवसर नहीं मिल रहा है और यह कला, समाज विज्ञान और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के खिलाफ है.

छात्रों का दावा है कि सीसैट के एक सेट में 40 से 45 प्रश्न अंग्रेजी में पूछे जाते हैं. सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव को लेकर छात्रों के आंदोलन के बीच यूपीएससी ने 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी करना शुरु कर दिया था. इसके कारण आंदोलन ने उग्र रुप अख्तियार कर लिया था.

सरकार ने इस विषय पर विचार के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी जो सिविल सेवा एप्टीट्यूट परीक्षा (सीसैट) के पैटर्न को बदलने की परीक्षार्थियों की मांग पर अध्ययन कर रिपोर्ट पेश किया था. इस विषय पर कार्मिक राज्य मंत्री डा जितेन्द्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भी चर्चा हुई थी.

आज भी राज्यसभा में यूपीएससी सीसैट परीक्षा का मुद्दा उठा था और विपक्षी सदस्यों ने सी-सैट के मुद्दे पर सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया.

लोकसभा में कार्मिक राज्य मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह के बयान के बाद सपा के धर्मेन्द्र यादव ने सरकार के बयान को आधा अधूरा बताते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या सीसैट को हटा दिया गया है.बीजद के भतृहरि माहताब ने भी जानना चाहा कि क्या सीसैट को हटा दिया गया है.

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