INX Media : चिदंबरम ने जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को दी चुनौती

नयी दिल्ली : आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को सोमवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2019 7:05 PM

नयी दिल्ली : आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उनकी जमानत याचिका रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को सोमवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.

प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चिदंबरम की याचिका का उल्लेख किया और इसे सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. उनका कहना था कि पूर्व वित्त मंत्री करीब 90 दिन से जेल में बंद हैं. पीठ ने सिब्बल से कहा, हम देखेंगे और यह भी कहा कि जमानत याचिका मंगलवार या बुधवार को सुनवाई के लिए ली जायेगी. उच्च न्यायालय ने 15 नवंबर को चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने कहा था कि पहली नजर में उनके खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप हैं और उन्होंने इस अपराध में सक्रिय तथा मुख्य निभायी है.

चिदंबरम को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था. इस मामले में कांग्रेस के नेता को उच्चतम न्यायालय ने 22 अक्तूबर को जमानत दे दी थी. इसी बीच, सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर दर्ज धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 16 अक्तूबर को चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया था. निचली अदालत के आदेश पर धन शोधन के मामले में वह 27 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में हैं. जांच ब्यूरो ने 15 मई, 2017 को दर्ज मामले में आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ रुपये का धन प्राप्त करने की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुईं. इस प्राथमिकी के आधार पर ही प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का मामला दर्ज किया था.

उच्च न्यायालय ने पूर्व वित्त मंत्री को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि आर्थिक अपराध के मामले में उन्हें जमानत दिये जाने का जनता में गलत संदेश जायेगा. हालांकि, चिदंबरम ने उच्च न्यायालय से जमानत के लिए अनुरोध करते हुए कहा था कि सारे दस्तोवजी साक्ष्य जांच एजेंसियों के कब्जे में हैं और वह इनके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं कर सकते. दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उन्होंने गवाहों को कथित तौर पर प्रभावित करने और धमकाने का प्रयास किया है.

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