चुनाव लड़ने के लिए आयुसीमा, न्यूनतम शिक्षा तय करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद और विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम उम्र सीमा तय करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि विवेक स्नातक की पढ़ाई करने से नहीं आता और उम्र का जोश-खरोश से कोई संबंध नहीं है. मुख्य न्यायाधीश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2019 6:35 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद और विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम उम्र सीमा तय करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि विवेक स्नातक की पढ़ाई करने से नहीं आता और उम्र का जोश-खरोश से कोई संबंध नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्नातक 10वीं की पढ़ाई भी पूरी नहीं करने वाले लोगों के समान विवेकशील नहीं हो सकते हैं. पीठ ने कहा, स्नातक या गैर स्नातक, जरूरी होता है व्यक्ति का विवेकशील होना. स्नातक करने से विवेकशीलता आ भी सकती है और नहीं भी आ सकती है. कुछ लोग बड़ी उम्र में भी बच्चे के समान होते हैं और कुछ बचपन में ही बुजुर्गों जैसी परिपक्व बुद्धि रखते हैं. यह सब जीवन में सीखने-समझने की ललक और उत्साह से भरपूर दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. उम्र का उत्साह से कोई नाता नहीं है.

अदालत ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता या अधिकतम उम्रसीमा तय करना है या नहीं, यह अधिकार संसद के पास है और हमें भी अधिकतम उम्रसीमा या न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय करने के लिए सरकार को कोई दिशा-निर्देश देने का न्यायोचित कारण नहीं दिखता. पीठ ने कहा कि वह चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम उम्रसीमा की आवश्यकता के विषय में विधि आयोग को विचार करने का निर्देश देने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं करना चाहती क्योंकि चुनाव सुधार से संबंधित पहले ही कई रिपोर्ट हैं. पीठ ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं. उपाध्याय ने इस याचिका में जन प्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) के संशोधन और संसदीय एवं विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तथा अधिकतम 75 वर्ष की उम्रसीमा तय करने का अनुरोध किया था.

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