PMC Bank के खाताधारकों ने दिल्ली में RBI के बाहर किया प्रदर्शन

नयी दिल्ली : घोटाले में फंसे पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के खाताधारकों ने बुधवार को यहां भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि बैंक में जमा उनकी मेहनत की कमाई को जल्द से जल्द वापस दिलाया जाए. जमाकर्ताओं के एक प्रतिनिमंडल ने रिजर्व बैंक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2019 9:24 PM

नयी दिल्ली : घोटाले में फंसे पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) के खाताधारकों ने बुधवार को यहां भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि बैंक में जमा उनकी मेहनत की कमाई को जल्द से जल्द वापस दिलाया जाए. जमाकर्ताओं के एक प्रतिनिमंडल ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात की. अधिकारी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी समस्या के हल के प्रयास किये जा रहे हैं.

दिल्ली निवासी राजिंदर सिंह ने कहा कि उनका बैंक में 20 लाख रुपये जमा है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को बैंक जमा खाताधारकों के पैसा लौटाने की कोई समयसीमा बतानी चाहिए. एक अन्य जमाकर्ता जगप्रीत सिंह ने कहा कि उनके बैंक में तीन खाते हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर प्रभावित वरिष्ठ नागरिक हैं, जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई पीएमसी में जमा की हुई है.

प्रदर्शनकारियों ने रिजर्व बैंक के खिलाफ नारेबाजी की. उनका कहना था कि इस मामले में रिजर्व बैंक ने अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभायी. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस घोटाले में राजनीतिक संपर्कों का भी हाथ है. रिजर्व बैंक द्वारा पीएमसी के सांविधिक निरीक्षण से पता चलता है कि बैंक ने अकेले हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) से 6,226.01 करोड़ रुपये का कर्ज वसूलना है. इसमें ब्याज भी शामिल है.

एचडीआईएल समूह पर कुल 6,226.01 करोड़ रुपये के बकाया में से मात्र 439.58 करोड़ रुपये का खुलासा ही मार्च, 2019 तक किया गया था. शेष 5,786.43 करोड़ रुपये के बकाये का खुलासा नहीं किया गया. रिजर्व बैंक ने पांच नवंबर को पीएमसी के जमाकर्ताओं के लिए निकासी की सीमा बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की घोषणा की थी. इस तरह बैंक के 78 फीसदी ग्राहक अपना पूरा पैसा बैंक खातों से निकाल सकेंगे. 23 सितंबर, 2019 तक बैंक के जमाकर्ताओं की कुल संख्या 9,15,775 थी.

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