profilePicture

CJI ने कहा- सेवानिवृत्ति आयु बढ़ायी जाये, तो न्यायाधीश लंबे समय तक काम करने को तैयार

नयी दिल्ली : उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने को लेकर चर्चा के बीच प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ायी जाती है तो वे लंबे समय तक काम करने को तैयार हैं. भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर 18 नवंबर को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2019 10:48 PM
an image

नयी दिल्ली : उच्चतर न्यायपालिका के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने को लेकर चर्चा के बीच प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ायी जाती है तो वे लंबे समय तक काम करने को तैयार हैं.

भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर 18 नवंबर को शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति बोबडे इस मुद्दे पर बार के सदस्य के तौर पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के सुझाव का जवाब दे रहे थे. वेणुगोपाल ने हालांकि यह सुझाव देश के शीर्ष विधिक अधिकारी के तौर पर नहीं दिया. सीजेआई के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में वेणुगोपाल ने कहा कि जिन वकीलों की आयु 70 और 80 से अधिक है, वे अदालतों में अपने मुकदमों में जोशीले तरीके से दलीलें पेश करते हैं, इसी तरह से न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु उच्चतम न्यायालय के मामले में बढ़ाकर 70 वर्ष और उच्च न्यायालयों के मामले में बढ़ाकर 68 वर्ष की जा सकती है. वर्तमान समय में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में, जबकि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं.

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, अटॉर्नी जनरल ने न्यायाधीशों के कार्यकाल के बारे में जो कहा है उस पर मैं कुछ भी नहीं कहूंगा. वह बार के एक सदस्य के तौर पर संबोधन दे रहे हैं और बार के सदस्य के तौर पर मैं कह सकता हूं कि बार के एक सदस्य के तौर पर कृपया यह अपने मुवक्किल से कहें. हम काम करने के लिए तैयार हैं. कार्यक्रम का आयोजन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने किया था. वेणुगोपाल ने यह दो बार कहा कि वह यह बात भारत के अटॉर्नी जनरल के तौर पर नहीं, बल्कि बार के एक सदस्य के तौर पर कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु अपर्याप्त है.

न्यायमूर्ति बोबडे ने इस तथ्य के मद्देनजर आम लोगों की स्वतंत्र एवं किफायती वकालत तक पहुंचने की उनकी क्षमता के बारे में भी चिंता जतायी कि वकील बहुत अधिक फीस लेते हैं. उन्होंने बार से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा. उन्होंने कहा, हमारी न्यायपालिका ऐसी है जो स्वतंत्र है तथा बार और पीठ ने इसकी उत्साहपूर्वक रक्षा की है. साथ ही यह हम सभी के लिए जरूरी है कि हम न केवल न्यायपालिका बल्कि बार की स्वतंत्रता की भी रक्षा करें. न्यायमूर्ति बोबडे ने न्यायपालिका के लिए चिंता के विषयों का उल्लेख किया जिसमें लंबित मामले, आधारभूत ढांचा और रिक्तियां शामिल थीं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, ठोस एवं समन्वित प्रयासों से हमने मौजूदा चिंताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है. वेणुगोपाल ने अपने संबोधन में सीजेआई के लिए न्यूनतम तीन वर्ष के तय कार्यकाल की वकालत की ताकि न्यायपालिका प्रमुख द्वारा अपने कार्यकाल में शुरू किये गये सुधार की प्रक्रिया मूर्त रूप ले सके.

Next Article

Exit mobile version