नयी दिल्ली: जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा घाटी में संचार व्यवस्था सहित अन्य प्रतिबंध लगाये जाने के खिलाफ कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि वहां लगाये गए प्रतिबंधों का औचित्य क्या था. इस याचिका पर केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुनवाई में शामिल हुये.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि कश्मीर की तात्कालीन हालात के मद्देनजर प्रतिबंध आवश्यक था. उन्होंने कहा कि घाटी में कानून और व्यवस्था बनाए रखना हमारा कर्तव्य था. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों तथा कानून के शासन का संरक्षण किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए था और हमने भी वही किया.
‘हालात को देखते हुए जरूरी थे कुछ प्रतिबंध’
घाटी में फोन और मोबाइल इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाये जाने संबंधी सवाल पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई स्थानों से इंटरनेट सेवाओं पर लगाया गया प्रतिबंध पहले की हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि किसी भी अफवाह की स्थिति से बचने के लिए इंटरनेट सेवा पर बैन का फैसला किया गया था. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला लिया गया था. उन्होंने कहा कि राज्य के लिए ये असाधारण स्थिति थी इसलिए असाधारण सावधानियां भी बरतने की जरूरत थी.
‘नहीं छीनी गयी किसी की व्यक्तिगत आजादी’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने लोगों को हो रही असुविधा को देखते हुए कम से कम प्रतिबंधात्मक उपाय किए हैं. उन्होंने कहा कि किसी को भी यदि सार्वजनिक समारोह या फिर अंतिम संस्कार के लिए निकाले जा रहे जुलूस में शामिल होना है तो संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेने के लिए कहा गया है.
घाटी में विरोध के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने वहां किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत प्रतिबंध नहीं था. लोगों को अपनी नियमित दिनचर्या से जुड़े काम करने की पूरी आजादी दी गयी थी. केवल सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों और सभाओं पर रोक लगाई गयी थी.
‘आतंकी गतिविधियां रोकने के लिए प्रतिबंध’
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि घाटी के लोग आखिर कब इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल कर पाएंगे. इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गयी हैं. लोग इससे संबंधित पास नजदीकी इंटरनेट केंद्रों से हासिल कर सकते हैं और सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं.
जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर इंटरनेट सेवाओं पर बैन लगाया ही क्यों गया था तो इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आजकल जिहाद का प्रसार इंटरनेट पर होने लगा है.
दुर्भाग्य से जिहादी इंटरनेट पर काफी सफल हैं क्योंकि वो यहां आसानी से लोगों को गुमराह कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिहादी या आतंकी संगठन से जुड़े नेता नफरत तथा अवैध गतिविधियों को संचालित करने और उसका प्रसार करने में इंटरनेट माध्यम का बहुतायात में इस्तेमाल करते हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डार्क वेब में इस तरह की आतंकी वारदातों को रोकने के लिए घाटी में इंटरनेट सेवाओं को ब्लॉक किया जाना जरूरी था. व्हाट्सएप, टेलीग्राम एप्स का इस्तेेमाल आतंकी गतिविधियों से जुड़े संदेशों को फैलाने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि, इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था.