पेशेवर फोटाग्राफर से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक उद्धव ने तय किया लंबा सफर

मुंबई : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया. हालांकि, वह बिल्कुल अलग विचारधारा रखने वाली पार्टियों के साथ त्रिदलीय गठबंधन के नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. मनोहर जोशी और नारायण राणे के बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2019 8:30 PM

मुंबई : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया. हालांकि, वह बिल्कुल अलग विचारधारा रखने वाली पार्टियों के साथ त्रिदलीय गठबंधन के नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं.

मनोहर जोशी और नारायण राणे के बाद वह शिवसेना से राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री हैं. जोशी और राणे 1990 के दशक में मुख्यमंत्री रहे थे. इसके अलावा, उद्धव देश के इस सबसे धनी राज्य में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य भी हैं. मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव वाले उद्धव (59) ने 24 अक्तूबर को आये विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के लिए अपने पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ सौदेबाजी में उसी आक्रमकता का परिचय दिया जो उनके दिवंगत पिता बाल ठाकरे में दिखा करती थी. भाजपा के साथ मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिए साझा करने के अपने रुख पर वह अडिग रहे और झुकने से इनकार कर दिया. उनके इस कदम के चलते करीब तीन दशक पुराना भगवा गठजोड़ टूट गया और राज्य की राजनीति ने नयी करवट ली.

भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अब उद्धव को राज्य के नेतृत्वकर्ता के तौर पर खुद को साबित करना है, जो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) जैसी बिल्कुल अलग विचाराधारा वाली पार्टियों के साथ एक नयी राजनीतिक राह पर चल सके. शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ‘महाराष्ट्र विकास आघाड़ी’ (एमवीए) के घटक दल हैं. हिंदुत्व की राजनीति के लिए जाने जानी वाली पार्टी (शिवसेना) अपने शुरुआती दौर से ही कांग्रेस-विरोधी रही है, लेकिन अब उसने एक नये चरण में प्रवेश किया है जहां उसे बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में ठाकरे के नेतृत्व में एक नयी राह पर चलना है. मुंबई में 27 जुलाई 1960 को उद्धव का जन्म हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर में प्राप्त की और बाद में जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से स्नातक किया, जहां उनका मुख्य विषय फोटोग्राफी था.

उद्धव ने राजनीति में लंबे समय तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, ना ही किसी सार्वजनिक पद पर आसीन रहे और इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि वह एक ऐसे राज्य में शासन की पतवार को कैसे थामते हैं जो आर्थिक महाशक्ति है और देश की वित्तीय राजधानी भी है. एक पेशेवर फोटोग्राफर के तौर पर उनके द्वारा ली गयी तस्वीरें विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई और कई प्रदर्शनियों में देखने को मिलीं. हालांकि, उद्धव जनवरी 2003 में शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त होने से पहले बहुत हद तक अपने पिता के ही साये में रहे. उद्धव ने शिवसेना प्रमुख का प्रभार औपचारिक रूप से 2012 में संभाला जब उनके पिता का निधन हो गया. राजनीतिक पंडितों के मुताबिक मातोश्री (उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे के आवास) से दक्षिण मुंबई स्थित मुख्यमंत्री आवास ‘वर्षा’ तक की यात्रा पूरी करने के बाद अब शिवसेना प्रमुख को खुद को फिर से गढ़ना पड़ेगा.

उन्हें नये गठबंधन सहयोगियों से निपटने के लिये खुद में लचीलापन लाना होगा और राजनीतिक कौशल का परिचय देना होगा. उद्धव फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं इसलिए उन्हें शपथ ग्रहण के छह महीने के अंदर विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना पड़ेगा. शिवसेना की स्थापना दिवंगत बाल ठाकरे ने 1966 में की थी. शुरुआत में यह राज्य के मराठी भाषी लोगों का समाज कल्याण करने वाला संगठन भर था. लेकिन, बाद में इसने हिंदुत्व की विचारधारा को अपना लिया और करीब 30 साल पहले गठबंधन के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया. उद्धव के लिए फोटोग्राफी एक जुनून है. उन्होंने चौरंग नाम की एक विज्ञापन एजेंसी भी स्थापित की है. उन्हें फोटोग्राफी का शौक है और उनके द्वारा महाराष्ट्र के कई किलों की खींची गयी तस्वीरों का संकलन जहांगीर आर्ट गैलरी में है.

उन्होंने महाराष्ट्र देश और पहावा विट्ठल नाम से चित्र-पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं. उन्होंने प्रदर्शनियों से मिले पैसे राज्य के विभिन्न हिस्सों के किसानों के लिए भी दान किये हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अपनी मां इंदिरा गांधी की सहायता के लिए राजनीति में उतरने वाले राजीव गांधी की तरह ही उद्धव ठाकरे अपने पिता बाल ठाकरे की मदद करने के लिए उस वक्त राजनीति में उतरे, जब शिवसेना संस्थापक वृद्ध हो रहे थे और पार्टी का दायरा बढ़ रहा था. हालिया विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में नये राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे उद्धव को अब सत्ता के शिखर पर कड़ी परीक्षा का सामना करना होगा क्योंकि उनकी छवि सड़क पर संघर्ष करने वाले एक नेता की रही है. उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है जब महाराष्ट्र में दो बिल्कुल अलग विचारधारा वाली पार्टियों की सरकार बनने जा रही है.

वर्ष 1978 में शरद पवार ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत कर प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) सरकार का गठन किया था, जिसमें समाजवादी और जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती) जैसे राजनीतिक दल शामिल थे. हालांकि, शासन एवं विकास नीतियों के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया गया है, लेकिन सभी की नजरें यह देखने के लिए ठाकरे की ओर होंगी कि क्या वह अपने हिंदुत्ववादी रुख में नरमी लाते हैं या यह उनके मार्ग में बाधक बनती है क्योंकि शिवसेना हिंदुत्व के रास्ते पर चलने के लिये जानी जाती है.

Next Article

Exit mobile version