अयोध्या मामला: मुस्लिम पक्ष द्वारा समीक्षा याचिका दायर करने पर जानिए श्री-श्री रविशंकर ने क्या कहा
नयी दिल्ली: आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने अयोध्या राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तथा इस पर मुस्लिम पक्ष की भूमिका को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर करना मुस्लिम पक्ष का अधिकार है. उनके पास एक […]
नयी दिल्ली: आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने अयोध्या राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तथा इस पर मुस्लिम पक्ष की भूमिका को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर करना मुस्लिम पक्ष का अधिकार है. उनके पास एक अवसर है.
Sri Sri Ravishankar on being asked if 'Muslim bodies are adopting double standard on Ram Temple issue by filing review petition against #AyodhyaJudgement': I will not be able to say anything on this. (01.12.2019) https://t.co/pKSHQi0MBG
— ANI (@ANI) December 2, 2019
श्री श्री रविशंकर ने हालांकि आगे कहा कि इस मामले को अब सुलझा लिया गया है. इसलिए मैं मुस्लिम पक्ष से अनुरोध करूंगा कि वे पुनर्विचार याचिका दायर करने के अपने फैसले पर दोबार विचार करे. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया है, इसलिए इस मामले को अब खत्म कर देना चाहिए.
मुस्लिम पक्ष पर ये कहा श्री-श्री रविशंकर ने
ये पूछे जाने पर कि क्या अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करके मुस्लिम पक्ष दोयम दर्जे का रवैया अपना रहा है, रविशंकर ने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता. बता दें कि बीते कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या मसले को आपसी सहमति से सुलझा लिया जाए. इसके लिए जो समिति बनाई गयी थी उसमें रविशंकर भी शामिल थे.
08 नवंबर को आया था एतिहासिक फैसला
बता दें कि बीते 08 नवंबर को अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि अयोध्या की मुख्य भूमि रामलला विराजमान को दी जाएगी जहां मंदिर निर्माण के लिए सरकार ट्रस्ट का गठन करेगी. वहीं उन्होंने केंद्र तथा राज्य सरकार से कहा था कि वो मुस्लिमों को मस्जिद निर्माण के लिए कोई वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन उपलब्ध करवाए.
विवाद में दो मुख्य पक्षकार रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले का स्वागत किया. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि वो फैसले का स्वागत करता है. लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया था.