आधी रात को लोकसभा से पास हुआ नागरिकता बिल, आज राज्यसभा में हो सकता है पेश, बीजेपी ने जारी किया व्हिप
नयी दिल्लीः घंटों चली बहस के बाद आखिरकार सोमवार की देर रात नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया. बिल के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े. हालांकि, विपक्ष इसे भारत के लिए काला दिन बता रहा है. इससे पहले बिल को लेकर सदन में दिन भर चर्चा और हंगामा हुआ […]
Bharatiya Janata Party (BJP) issues whip to its Rajya Sabha MPs to be present in the House on 10th & 11th December. pic.twitter.com/sHlp02RNUI
— ANI (@ANI) December 9, 2019
Thank you honourable PM @narendramodi ji. You are an inspiration and under your leadership we all strive harder each day to build a #NewIndia for our future generations. https://t.co/TZlR3QuUEL
— Amit Shah (@AmitShah) December 9, 2019
#WATCH Home Minister Amit Shah leaves from the Parliament after the passing of Citizenship (Amendment) Bill, 2019 in Lok Sabha. pic.twitter.com/GCEGyPbdC2
— ANI (@ANI) December 9, 2019
जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म
शाह ने कहा, मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता. अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिये विधेयक लाना पड़ा. शाह ने कहा कि देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आयेगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पायेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जायेगा.
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है. जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े.
विपक्ष के कुछ संशोधनों पर मत विभाजन भी हुआ और उन्हें सदन ने अस्वीकृत कर दिया. विधेयक पारित होने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल समेत भाजपा तथा उसके सहयोगी दलों के विभिन्न सदस्यों ने गृह मंत्री अमित शाह के पास जाकर उन्हें बधाई दी.
शाह ने सदन में क्या क्या कहा
इससे पहले अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी. 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी. शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये. उन्होंने कहा कि इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है.
उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा. शाह ने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है और तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं. उन्होंने यह भी कहा, मैं दोहराना चाहता हूं कि देश में किसी शरणार्थी नीति की जरूरत नहीं है. भारत में शरणार्थियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कानून हैं. उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र नीति की बात की लेकिन कांग्रेस ने उसे रोका नहीं.उसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार किया था, यह ऐतिहासिक सत्य है.
अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं
शाह ने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं है जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह यहां के अल्पसंख्यकों की बात ही नहीं कर रहे. यह उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों की बात है. उन्होंने कहा कि इस देश में इतनी बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। कोई भेदभाव नहीं हो रहा. तस्वीर ऐसी बनाई जा रही है कि अन्याय हो रहा है. शाह ने कहा, मैं फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे तो देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा. हमें एनआरसी की पृष्ठभूमि बनाने की जरूरत नहीं. हमारा रुख साफ है कि इस देश में एनआरसी लागू होकर रहेगा. हमारा घोषणापत्र ही पृष्ठभूमि है. उन्होंने कहा कि कहा कि हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है और कोई नफरत पैदा करने की कोशिश भी न करे. गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के दलों ने विधेयक का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि सिक्किम को भी संरक्षण प्राप्त है और चिंता करने की जरूरत नहीं है. इससे पहले, विधेयक रखते हुए शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान ऐसे राष्ट्र हैं जहां राज्य का धर्म इस्लाम है.
शाह ने कहा कि आजादी के बाद बंटवारे के कारण लोगों का एक दूसरे के यहां आना जाना हुआ। इस समय ही नेहरू लियाकत समझौता हुआ जिसमें एक दूसरे के यहां अल्पसंख्यकों को सुरक्षा की गारंटी देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे यहां तो अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान की गई लेकिन अन्य जगह ऐसा नहीं हुआ. हिन्दुओं, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से इन तीन देशों से आए छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कही गई है. अमित शाह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता के संरक्षण की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अब मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट व्यवस्था में शामिल किया जायेगा. इसके बाद ही विधेयक को अधिसूचित किया जाएगा. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष शासन व्यवस्था की जरूरत है.
विधेयक में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से नहीं वंचित करने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तो को पूरा करता है तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरूद्ध अवैध प्रवासी के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा . भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं. किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ है, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत ‘‘देशीयकरण’ द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता है. विधेयक में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा करने और बंगाल पूर्वी सीमांत विनियम 1973 की ‘‘आंतरिक रेखा’ प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान किये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखने के मकसद से है.