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नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी, अब बना कानून

नयी दिल्ली : देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) को अपनी मंजूरी दे दी है. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह बिल अब कानून बन चुका है. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया […]

नयी दिल्ली : देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) को अपनी मंजूरी दे दी है. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह बिल अब कानून बन चुका है.

एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है. इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

आपको बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था.

कानून के मुताबिक इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दी जाएगी. अभी तक यह समयसीमा 11 साल की थी. कानून के मुताबिक ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाए जाने पर लगाए गए मुकदमों से भी माफी दी जाएगी.

कानून के अनुसार, यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं. इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (आईएलपी) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा. आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है.

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