सीसैट को लेकर तकरार बरकरार, सरकार की मुश्किलें बढ़ी
सीसैट को लेकर सरकार ने तो अपना बयान दे दिया है. और संभवतः यही बयान यूपीएससी की परीक्षा में लागू होने जा रहा है. सरकार ने कहा है कि सरकार द्वारा घोषित बदलाव के संबंध में एक अधिसूचना जारी की जाएगी और इसे यूपीएससी द्वारा लागू किया जाएगा. छात्र सरकार के इस फैसले से काफी […]
सीसैट को लेकर सरकार ने तो अपना बयान दे दिया है. और संभवतः यही बयान यूपीएससी की परीक्षा में लागू होने जा रहा है. सरकार ने कहा है कि सरकार द्वारा घोषित बदलाव के संबंध में एक अधिसूचना जारी की जाएगी और इसे यूपीएससी द्वारा लागू किया जाएगा.
छात्र सरकार के इस फैसले से काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार ने उनके साथ धोखा किया है. छात्रों का कहना है कि सरकार ने उतने दिनों से आश्वासन देकर अंतिम में धोखा देने का काम किया है. छात्रों ने कहा है कि हम सीसैट को हटाने की मांग पर अड़े हैं और जबतक उसे नहीं हटाया जाएगा तबतक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.
उधर विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार के इस घोषणा पर सवाल उठाये हैं. आम आदमी पार्टी के नेता योगेन्द्र यादव ने भी छात्रों के विरोध का समर्थन किया है और वे छात्रों के साथ धरना स्थल पर मौजूद थे.
हड़ब़डी में लिया गया फैसला
सरकार ने सीसैट मुद्दे को हल करने के लिए जो भी उपाय तलाशे हैं उसे हडबडी में लिया गया फैसला माना जा रहा है. यूपीएससी ने 24 तारीख से प्रारंभिक परीक्षा की घोषणा कर दी है. यहां तक की एडमिट कार्ड भी जारी कर दिये गये हैं. ऐसे में सरकार के पास इससे पहले कोई-न-कोई फैसला लेने के अलावे कोई चारा नहीं था.
सरकार में भी आम सहमति का अभाव !
सरकार को इतना छोटा निर्णय लेने में इतना लंबा समय लगा, इसको लेकर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीसैट मुद्दे पर सरकार में ही एकमत का अभाव माना जा रहा है. यही कारण है कि सरकार इतने लंबे समय से टालमटोल कर रही थी. सीसैट को लेकर सरकार के अलग-अलग मंत्रियों ने अलग-अलग बयान जारी किये.
रिपोर्ट के पहले से तय था की सीसैट नहीं हटेगा !
अगर वर्मा कमिटी के अध्यक्ष और उनके सदस्यों के इतिहास-भूगोल को देखा जाए तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सीसैट पर क्या सिफारिश किया जा सकता है. क्या खुद एक अंग्रेजी से पढे-लिखे और अंग्रेजी भाषा से ही यूपीएससी की सिविल सर्विस में चयनित हुए सदस्य हिन्दी की कितनी मुखालफत करेंगे यह कहने की आवश्यकता नहीं है. इनमें से दो तो आईआईटी के छात्र रहें हैं. और यूपीएससी के नये पैटर्न सीसैट का प्रारुप तैयार करने वाले वर्तमान चेयरमैन भी आईआईटी दिल्ली के डीन व फैकल्टी रहें हैं. इनमें से समिति के एक सदस्य दिल्ली आईआईटी में उनके शिष्य रहें हैं
गौरतलब है कि छात्रों ने अपने विरोध को जारी रखने का फैसला किया है. इधर यूपीएससी भी 24 अगस्त को ही परीक्षा लेने के लिए तैयार है. अब केवल यह विकल्प सरकार के पास है कि वह आगे क्या रणनीति अपनाती है.