पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बोले- लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाकर 1000 की जाए

नयी दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि संसद के दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाए. उन्होंने लोकसभा सीटों की संख्या एक हजार तक करने का सुझाव दिया. साथ ही राज्यसभा के सदस्यों की भी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए. पूर्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2019 11:04 AM
नयी दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि संसद के दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाए. उन्होंने लोकसभा सीटों की संख्या एक हजार तक करने का सुझाव दिया. साथ ही राज्यसभा के सदस्यों की भी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति का कहना है कि भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए निर्वाचन क्षेत्र अनुपातहीन रूप से आकार में बड़ा है.
सोमववार को इंडिया फाउंडेशन के जरिए आयोजित दूसरा अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान देते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि लोकसभा की सीटों की संख्या मौजूदा 543 से बढ़ाकर 1000 की जानी चाहिए. साथ ही राज्यसभा की ताकत में भी इजाफा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों ने कुछ पार्टी को संख्यात्मक बहुमत दिया हो सकता है, लेकिन भारत के चुनावी इतिहास में मतदाताओं के बहुमत ने कभी भी एक पार्टी का समर्थन नहीं किया है.
मुखर्जी ने कहा कि इसकी जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि दुनिया के तमाम ऐसे देश है, जिनकी जनसंख्या भारत के काफी कम है, बावजूद इसके वहां की संसद में सदस्यों की संख्या भारत से कहीं ज्यादा है.
उन्होंने इस दौरान इस कई देशों के संसद के सदस्यों की संख्या का भी जिक्र किया और बताया कि ब्रिटिश संसद में 650 सदस्य है, कनाडा की संसद में कुल 443 सदस्य है और अमेरिका की संसद कांग्रेस में कुल 535 सदस्य है. उन्होंने कहा कि 1952 से लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को मजबूत जनादेश दिया है लेकिन कभी भी एक पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं दिए हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि चुनावों में बहुमत आपको एक स्थिर सरकार बनाने का अधिकार देता है.उन्होंने इस दौरान संसद में सदस्यों के हंगामे को लेकर भी कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि वह यह कतई न भूले कि उन्हें लाखों लोगों ने बड़ी उम्मीद से कुछ करने के लिए भेजा है. उनकी उम्मीदों पर खरे उतरना चाहिए.
इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने की जमकर तारीफ की और कहा कि वह भारत के एक महान पुत्र थे. जिन्होंने संसदीय लोकतंत्र की गरिमा को मजबूत बनाने के लिए बेहतर उदाहरण पेश किया था। उन्हें साहसिक फैसले लेने के लिए सदैव याद किया जाएगा.

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