नयी दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के गुनाहगार अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट सुनवाई टाल दी और दोषियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया. सभी दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं.
Delhi Court directs Tihar Jail authorities to issue a fresh notice for one week to convicts(2012 Delhi gangrape case) as to whether they want to file mercy petitions. Next date of hearing is 7th January https://t.co/KBfyBPDRiw pic.twitter.com/iBfRV6hof9
— ANI (@ANI) December 18, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित निर्भया मामले में चार दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह उर्फ अक्षय ठाकुर द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज कर दी. मामले की सुनवाई जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच कर रही थी.मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं है. हमें 2017 में दिए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला.
इधर, दोषी के वकील ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा.जिसपर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय काफी है. हालांकि कोर्ट ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए समय सीमा तय करने के बारे में टिप्पणी करने से परहेज किया.
फैसला आने के बाद निर्भया की मां ने कहा-निर्भया की मां ने कहा कि मैं इससे बहुत खुश हूं. आरोपियों के लिए फांसी का फरमान जारी करने के संबंध में पटियाला हाउस अदालत में एक सुनवाई होनी है और हमें उम्मीद है कि वह फैसला हमारे पक्ष में जाएगा.निर्भया के पिता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों में से एक अक्षय सिंह की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. हम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं. जब तक पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी नहीं किया जाता है, हम संतुष्ट नहीं होंगे.
निर्भया मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है. उन्होंने कहा कि दोषी किसी भी तरह की उदारता का हकदार नहीं है और भगवान भी ऐसे ‘दरिंदे’ को बना शर्मसार होगा. जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए.
इससे पहले आज सुबह बेंच ने अक्षय के वकील एपी सिंह को दलील के लिए आधे घंटे का वक्त दिया. अक्षय के वकील ने जांच पर सवाल उठाते हुए तिहाड़ के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता की किताब का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इस किताब में राम सिंह की आत्महत्या पर सवाल उठाए गए हैं. सिंह ने रेयान इंटरनेशनल केस में स्कूल छात्र की हत्या का उदाहरण दिया. उन्होंने दलील दी कि इस मामले मैं बेकसूर को फंसा दिया था. अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता. इसलिए हमने इस केस मे भी सीबीआई जैसी एंजेसी जैसे जांच की मांग की थी.
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि राम सिंह के बिसरा रिपोर्ट में अल्कोहल मिला था. जेल में राम सिंह को शराब कैसे मिली? पुलिस ने इस तथ्य की जांच क्यों नहीं की…राम सिंह की संदिग्ध मौत की जांच होनी चाहिए थी…उन्होंने कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते है जबकि दूसरे युग मे और ज़्यादा जीते थे. दिल्ली में वायु प्रदूषण और पानी की गुणवक्ता बेहद खराब है, ऐसे में फांसी की सजा क्यों ? मौत की सजा एकमात्र समाधान नहीं है_ सुधार के लिए मौका दिया जाना है. यह सजा का उद्देश्य है.
ए पी सिंह ने कहा कि सरकार भी मानती है कि दिल्ली की हवा बेहद खराब है डॉक्टर बाहर जाने की सलाह देते. अक्षय को फांसी नहीं दी जाए. उन्होंने नैतिक और कानूनी दो दलीलें दीं. नैतिक दलील देते हुए अक्षय के वकील ने कहा कि मानवाधिकार का कहना है कि आप अपराधी को मार सकते हैं, अपराध को नहीं…भारत ने जीवन को पवित्र माना जाता है. यह हिंसा का कार्य है. गरीब ही केवल मौत की सजा के शिकार होते हैं जबकि अमीर फांसी पर नहीं चढ़ते.
इन दलीलों पर कोर्ट ने दोषी के वकील से कहा कि ठोस बात करें कि हमारे फैसले में कमी क्या थी.
गौरतलब है कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था. इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए. इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था. इस मामले के चार दोषी विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया. एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था.