चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ पद को कैबिनेट की मंजूरी
नयी दिल्ली : सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के सृजन को मंगलवार को मंजूरी प्रदान कर दी. आधिकारिक सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी. 1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था. […]
नयी दिल्ली : सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के सृजन को मंगलवार को मंजूरी प्रदान कर दी. आधिकारिक सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी. 1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था.
सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी. इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा. इस तरह देश को जझल्द ही पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिल जायेगा. सीडीएस मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का मकसद देश समक्ष आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है. प्रोटोकॉल के मामले में भी सीडीएस सबसे ऊपर रहेगा. इसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध के समय होगा. युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा. दरअसल सशस्त्र बलों की परिचालनगत योजना में कई बार खामियां सामने आयी हैं. 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गयी थी, जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत की पठारी पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी. इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रहते इस तरह की कोई खामी नहीं रहेगी और सेना प्रभावी ढंग से दुश्मन से निपट सकेगी.