NRC के बाद अब NPR पर बवाल, विपक्ष ने किया करारा वार तो अमित शाह ने कही ये बात

नयी दिल्ली : सरकार ने जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए मंगलवार को लगभग 12,700 करोड़ रुपये मंजूर किये. साथ ही, स्पष्ट किया कि एनपीआर का विवादास्पद राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से कोई संबंध नहीं है. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि एनपीआर के आंकड़ों के आधार पर देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2019 8:58 AM

नयी दिल्ली : सरकार ने जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए मंगलवार को लगभग 12,700 करोड़ रुपये मंजूर किये. साथ ही, स्पष्ट किया कि एनपीआर का विवादास्पद राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से कोई संबंध नहीं है. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि एनपीआर के आंकड़ों के आधार पर देश में ‘एनआरसी’ कराने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नागरिकता रजिस्टर (एनसीआर) को लेकर देशभर में जारी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने देशभर में निवासियों का डेटाबेस (एनपीआर) अपडेट करने की मंजूरी दी जिसके बाद राजनीतिक हलकों में एनपीआर के फैसले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

मामले को लेकर कांग्रेस ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के साथ जोड़ रही है, जबकि यूपीए सरकार के समय में ऐसा नहीं किया गया था. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने आरोप लगाया कि सरकार का कदम संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हमारी सरकार में हमने एनपीआर साधारण निवासियों के लिए बनाया था. ये एनआरसी के साथ एनपीआर को जोड़ना चाहते हैं. हमने कभी इसे नागरिकता के साथ नहीं जोड़ा. अगर इसे नागरिकता के साथ जोड़ेंगे तो लोगों को इस पर आपत्ति है.

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सोमवार को 3,941.35 करोड़ रुपये की राशि मंजूर किये जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा एनपीआर के नाम पर लोगों को ‘बेवकूफ बनाने और धोखा देने’ का प्रयास कर रही है क्योंकि यह एनआरसी की दिशा में पहला कदम है. एनपीआर देश में रहने वाले ‘स्वभाविक निवासियों’ की एक सूची है. स्वभाविक निवासी का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से हैं जो किसी स्थान पर पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा है या जो अगले छह महीने या उससे अधिक समय से रहना चाह रहा हो. एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिये गये थे जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे.

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता ओ ब्रायन ने कहा कि भाजपा लोगों को धोखा दे रही है. एनपीआर पर मंत्रिमंडल का निर्णय लिया गया है और धनराशि मंजूर की गयी है. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) की दिशा में पहला कदम है.

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए धनराशि आवंटित किये जाने के बाद कहा कि इससे राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के पीछे छिपे मकसदों का भंडाफोड़ हो गया है. अखिलेश ने ट्वीट कर दावा किया कि जब सरकार ने ख़ुद ही राज्यसभा में कहा है कि एनपीआर ही एनआरसी का आधार होगा तो ये भाजपाई और कितना झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करेंगे. इनके ‘छिपे उद्देश्यों’ का अब भंडाफोड़ हो चुका है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की एकता को खण्डित करने वालों की चला-चली की बेला आ गयी है. देश एक था, एक है, एक रहेगा.

एनपीआर को लेकर उठ रहे सवाल के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सफाई दी और कहा कि नेशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है. इसका और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस का आपस में कोई संबंध नहीं है. दोनों चीजें भिन्न हैं. एनपीआर में किसी के कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा, जबकि एनआरसी में नागरिकता का सबूत मांगा जाता है. आगे शाह ने कहा कि अफवाहें फैलाई जा रहीं हैं कि एनपीआर के डेटा का इस्तेमाल एनसीआर के लिए होगा. मुस्लिम भाई किसी अफवाह में ना पड़ें और मत में भ्रम ना पलें.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के लिए मंगलवार को लगभग 12700 करोड रुपए मंजूर कर दिये. इसमें 3941.35 करोड़ रुपये एनपीआर अपडेट करने के लिए हैं. हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि एनपीआर का एनआरसी से कोई ताल्लुक नहीं है.

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