मतदान-बाद सर्वेक्षण की प्रक्रिया
सीएसडीएस के लोकनीति कार्यक्रम द्वारा यह मतदान बाद सर्वेक्षण 2 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच किया गया. इसमें राज्य के 27 विधानसभा क्षेत्रों के 108 मतदान केंद्रों पर 2700 मतदाताओं ने हिस्सा लिया. सैंपल डिजाइनिंग के लिए बहु-स्तरीय रैंडम सैंपलिंग पद्धति अपनायी गयी. विधानसभा क्षेत्रों और इसके बाद हर ऐसे विधानसभा क्षेत्र में चार […]
सीएसडीएस के लोकनीति कार्यक्रम द्वारा यह मतदान बाद सर्वेक्षण 2 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच किया गया. इसमें राज्य के 27 विधानसभा क्षेत्रों के 108 मतदान केंद्रों पर 2700 मतदाताओं ने हिस्सा लिया. सैंपल डिजाइनिंग के लिए बहु-स्तरीय रैंडम सैंपलिंग पद्धति अपनायी गयी. विधानसभा क्षेत्रों और इसके बाद हर ऐसे विधानसभा क्षेत्र में चार मतदान केंद्रों को रैंडम तरीके से चुना गया.
फिर हर मतदान केंद्र के 35 मतदाताओं को रैंडम तरीके से चुना गया. इनमें से 25 साक्षात्कार लक्षित थे. पांचवें चरण के अलावा, सभी साक्षात्कार मतदान के एक या दो दिन बाद किये गये. ये साक्षात्कार उन मतदाताओं के घरों में बैठ कर आमने-सामने किये गये थे. साक्षात्कार की भाषा हिंदी थी और ये एक मानक प्रश्नावली पर आधारित थे.
साक्षात्कार की अवधि औसतन 35 मिनट थी. प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने, तथा महत्वपूर्ण जनसांख्यकीय समूहों के कमतर प्रतिनिधित्व को ठीक करने के लिए प्राप्त नमूनों की लिंग, धर्म, स्थानीयता और जाति के आधार पर समीक्षा की गयी, जिनके आंकड़े 2011 की जनगणना से लिये गये थे. यहां प्रस्तुत सभी विश्लेषण समीक्षित आंकड़ों पर आधारित हैं.
इस सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया लोकनीति से जुड़े शोधार्थियों के दल द्वारा संचालित की गयी है. झारखंड में इसका संयोजन और निरीक्षण रांची के संत जेवियर्स कॉलेज के अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर हरीश्वर दयाल और रांची के इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट के अमित कुमार ने किया. इसका निर्देशन सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार ने किया.
नमूने में विभिन्न तबकों की भागीदारी
जुटाये नमूने समीक्षित नमूने
में अनुपात में अनुपात*
अनुसूचित जाति 12.5 12.0
अनुसूचित जनजाति 33.1 26.2
मुस्लिम 9.9 15.1
महिलाएं 44.9 48.6
शहरी 11.1 24.0