दिल्ली विधानसभा चुनाव में 51 प्रतिशत वोट पर कब्जा करना भाजपा की रणनीति, कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे अमित शाह
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देने के सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पांच जनवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे. दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘ पांच जनवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में राष्ट्रीय अध्यक्ष […]
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देने के सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पांच जनवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे. दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘ पांच जनवरी को इंदिरा गांधी स्टेडियम में राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली के सभी बूथ अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे.’
समझा जाता है कि बूथ सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली विधानसभा चुनाव के बारे में कार्यकर्ताओं के समक्ष लक्ष्य एवं रणनीति रखेंगे. सम्मेलन में करीब 13,750 बूथ कार्यकर्ताओं के अलावा दिल्ली से पार्टी के सांसद, पार्षद, पूर्व विधानसभा चुनाव प्रत्याशी, मंडल अध्यक्ष, बूथ संयोजक, बूथ प्रबंधन विभाग और शहरी केंद्र प्रमुख, मोर्चा और प्रदेश पदाधिकारियों के मौजूद रहने की संभावना है. पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि भाजपा विधानसभा चुनाव में बूथ प्रबंधन पर खास ध्यान दे रही है और इस बार ‘पन्ना प्रमुख’ के साथ ‘गट प्रमुख’ को भी खास जिम्मेदारी दी गयी है.
गौरतलब है कि भाजपा संगठन में पन्ना प्रमुख पर मतदाता सूची के एक पन्ने पर मौजूद मतदाताओं की जिम्मेदारी होती है जबकि गट प्रमुख हर मोहल्ले या क्षेत्र के हिसाब से बनाये जाते हैं. पार्टी ने इस बात पर जोर दिया है कि उसके कम प्रभाव वाले बूथ में कम से कम 100 नए मतदाता भाजपा के पक्ष में जोड़े जायें. पार्टी ने दिल्ली चुनाव जीतने के लिए 51 फीसद वोट पाने का लक्ष्य रखा गया है. भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को ‘झूठ बनाम सच की लड़ाई’ और ‘अराजकता बनाम राष्ट्रवाद की लड़ाई’ के रूप में पेश करने की रूपरेखा तैयार की है .
गौरतलब है कि दिल्ली में अगले कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा होने की उम्मीद है. भाजपा पिछले 22 वर्ष से अधिक समय से प्रदेश में सत्ता से बाहर है. 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 सदस्यीय विधानसभा में केवल तीन सीट ही मिली थी. आम आदमी पार्टी(आप) को ऐतिहासिक विजय मिली और 67 सीटें हासिल हुईं जबकि कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी.