मुंबई : नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि एयर इंडिया के ऊपर करीब 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है. ऐसे में सरकार के पास इसके निजीकरण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
पुरी ने एयर इंडिया के 13 कर्मचारी संगठनों के साथ बृहस्पतिवार को यहां एक बैठक की. एक कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि ने बताया कि पुरी ने बैठक में एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया में कर्मचारियों की बात की. प्रतिनिधि के अनुसार, पुरी ने कहा कि सरकार निजीकरण के बाद रोजगार की सुरक्षा को लेकर कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, संगठनों ने एयर इंडिया के निजीकरण का विरोध किया और कहा कि यदि सरकार समर्थन दे तो कर्मचारी एयर इंडिया को चलाने में सक्षम हैं. प्रतिनिधि ने एक घंटे चली बैठक के बाद कहा, मंत्री ने कहा कि एयर इंडिया के ऊपर 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है और किसी भी विशेषज्ञ के पास इसका समाधान नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार के समक्ष निजीकरण का ही एकमात्र विकल्प उपस्थित रह जाता है.
प्रतिनिधि ने कहा कि पुरी ने निजीकरण की प्रक्रिया में सभी कर्मचारी संगठनों से सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की. पुरी ने बाद में ट्वीट किया कि उन्होंने कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी और सार्थक चर्चा की. उन्होंने कहा कि अगले 10 दिन में दोनों पक्ष एक और बैठक करेंगे. प्रतिनिधि ने कहा, पुरी ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मेकानिज्म की अभी एक ही बार बैठक हुई है. अगली बैठक में वह कर्मचारियों की सभी दिक्कतों को सामने रखेंगे. एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि यदि जून तक कोई नया निवेशक सामने नहीं आया तो जेट एयरवेज की तरह यह भी बंद हो जायेगी. हालांकि इसके कुछ ही दिन बाद पुरी ने कहा था कि निजीकरण होने तक एयर इंडिया का परिचालन जारी रहेगा.