ग्रीन ट्रिब्यूनल के पर कतरने की तैयारी!
नयी दिल्ली : पर्यावरण व वन मंत्रालय यूपीए सरकार के कार्यकाल में पारित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट में बदलाव लाने की तैयारी कर रहा है. यदि प्रस्ताव पर अमल हुआ, तो इसकी धार कमजोर पड़ सकती है. सूत्रों के अनुसार, इस कानून में बदलाव लाने के लिए सलाह-मशविरों के दौर शुरू हो चुका है. माना […]
नयी दिल्ली : पर्यावरण व वन मंत्रालय यूपीए सरकार के कार्यकाल में पारित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट में बदलाव लाने की तैयारी कर रहा है. यदि प्रस्ताव पर अमल हुआ, तो इसकी धार कमजोर पड़ सकती है. सूत्रों के अनुसार, इस कानून में बदलाव लाने के लिए सलाह-मशविरों के दौर शुरू हो चुका है. माना जा रहा है कि इसके अधिकारों में कटौती होगी.
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हैसियत ऐसी न्यायिक इकाई की है, जहां वन एवं पर्यावरण से जुड़े मामले दायर किये जा सकते हैं. यदि किसी परियोजना पर किसी को कोई आपत्ति है या पर्यावरण या वन संबंधी क्लीयरेंस से जुड़ा कोई विवाद है तो उसकी सुनवाई यहीं होती है. इसके फैसले को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है.
अपनी स्थापना के शुरुआती दिनों से ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के साथ पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को कई मुद्दों पर परेशानियां झेलनी पड़ी थीं. सबसे पहले तो इसकी जरूरत की संरचना मुहैया कराने पर सुप्रीम कोर्ट को तब हस्तक्षेप करना पड़ा, जब इस बात से आहत इसके कुछ न्यायिक सदस्यों को इस्तीफा तक दे दिया था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट के अनुसार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करते हैं.