मुंबई : शिवसेना ने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के प्रभाव पर शुक्रवार को सवाल उठाये और कहा कि ऐसा माना जा रहा था कि इससे पाकिस्तानी आतंकियों के हौसले पस्त होंगे लेकिन यह केवल एक ‘भ्रम’ बन कर रह गया है, क्योंकि भारत के सैनिक अब भी कश्मीर में आतंकी हमलों में जान गंवा रहे हैं.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया कि सीमाओं का अशांत होना देश के लिए अच्छा नहीं है. पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में बुधवार को आतंक निरोधी अभियान के दौरान महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले सेना के जवान संदीप रघुनाथ सावंत की मौत की पृष्ठभूमि में यह कहा.
संपादकीय में कहा गया कि कश्मीर में नये साल की शुरुआत अच्छी नहीं हुई. सातारा के जवान संदीप सावंत कश्मीर में शहीद हो गये हैं. नौशेरा क्षेत्र में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में संदीप सावंत सहित दो जवान शहीद हो गये. गत एक महीने में महाराष्ट्र के सात-आठ जवान शहीद हुए हैं. इसके लिए महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी जिम्मेदार नहीं है. बार-बार कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति नियंत्रण में है. लेकिन ये कितना सच है ?
पार्टी ने सवाल उठाये कि सर्जिकल स्ट्राइक और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के बाद कश्मीर में हालात कितने सुधरे हैं. हालांकि इसमें उसने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करना एक अच्छा कदम था. इसमें कहा गया कि कश्मीर की सीमा पर जिस प्रकार जवानों का खून बह रहा है, उसका सीधा मतलब ये है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है और पाक समर्थित आतंकवाद तथा घुसपैठ रुकी नहीं है.
शिवसेना ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीतिक लाभ के लिए भुना रही है.