नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग 150 से 170 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है हालांकि प्रत्याशी 28 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकेंगे लेकिन आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस अपनी पार्टी के प्रचार के लिए बैनर, पोस्टर के साथ मीडिया में प्रचार के लिए अच्छा खासा खर्चा करेंगी.
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दिल्ली चुनाव में राजनीतिक पार्टियों खर्च करेंगी लगभग 170 करोड़ रुपये
नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगभग 150 से 170 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है हालांकि प्रत्याशी 28 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकेंगे लेकिन आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस अपनी पार्टी के प्रचार के लिए बैनर, पोस्टर के साथ मीडिया में प्रचार के लिए अच्छा खासा खर्चा […]
चुनाव में सबसे ज्यादा खर्च प्रिंट पर किया जायेगा. इसके साथ ही डिजिटल और सोशल मीडिया पर भी प्रचार को लेकर राजनीतिक पार्टियां फोकस कर रहीं हैं. भाजपा और आप चुनाव प्रचार में किस तरह लोगों की भागीदारी हो, उन्हें जोड़ा जाए इस पर फोकर कर रहीं हैं. चुनावी कैंपन में विज्ञापन में किन बातों को ध्यान में रखकर रणनीति बनायें, इसके लिए पीआर कंपनी और विज्ञापन एजेंसी की मदद ले रहीं हैं.
प्रचार में हॉर्डिंग, पोस्टर के साथ – साथ उन जगहों को भी ध्यान में रखा जा रहा है, जहां से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचायी जा सकती है. विज्ञापन के साथ- साथ सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए भी अलग से रणनीति बन रही है जिसके तहत ट्विटर, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, ब्लॉग , टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म के भी इस्तेमाल की तैयारी है.
सोशल मीडिया की भूमिका दिल्ली चुनाव में अहम मानी जा रही है क्योंकि इन शहरों में रहने वाले लोग अपना ज्यादातर समय स्मार्ट फोन पर देते हैं. सोशल मीडिया पर पार्टियों द्वारा किया जाने वाला खर्च ठीक से ट्रैक नहीं किया जा सकता. एक अधिकारी ने बताया कि कैसे यह पता किया जायेगा कि किसने पैसे लेकर तो किसने अपने अनुभव के आधार पर सोशल मीडिया में लिखा है या प्रतिक्रिया दी है. पहले इस तरह के प्रचार के लिए लोग बड़ी संख्या में सोशल मीडिया के लिए युवाओं को रखते थे लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है. राजनीतिक पार्टियां सीधे लोगों को अप्रोच कर रहीं हैं. घर बैठे ही काम करवा रही हैं. ऐसे में यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि कौन किस पार्टी के लिए पैसे लेकर प्रचार कर रहा है.
दिल्ली चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब सोशल मीडिया पर बहुत कुछ चल रहा है. पूरे देश में सीएए- एनआरसी को लेकर हंगामा है. जेएनयू का मामला गर्म है ऐसे में चुनाव प्रचार को लोग कितनी गंभीरता से ले पायेंगे. इस शोर में लोग चुनाव प्रचार में उपलब्धियों, कमियों की आवाज कितनी सुन पायेंगे यह भी चिंता का विषय है.
एक आकड़े के अनुसार राजनीतिक पार्टियों ने 74.88 लाख रुपये सिर्फ दिल्ली के मतदाताओं तक पहुंचने के लिए खर्च कर दिया गौर करने वाली बात यह है कि यह खर्च सिर्फ फेसबुक पर किया गया. आम आदमी पार्टी का खर्च 78 करोड़ रुयये था. यह खर्च पहले चार साल में हुआ. शीला दीक्षित सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में 19 करोड़ का खर्च सालान किया
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