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जम्मू कश्मीर की स्थिति के जमीनी अनुभव के लिये विदेशी राजनयिकों का कश्मीर दौरा : विदेश मंत्रालय

नयी दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने कश्मीर के दौरे के लिए 15 विदेशी राजनयिकों को भेजने की व्यवस्था की जिसका मकसद यह था कि वे हालात को सामान्य बनाने के प्रयासों का जमीनी स्तर पर अनुभव कर सकें. मंत्रालय ने उन आलोचनाओं को बेबुनियाद बताया कि यह प्रायोजित था. […]

नयी दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार ने कश्मीर के दौरे के लिए 15 विदेशी राजनयिकों को भेजने की व्यवस्था की जिसका मकसद यह था कि वे हालात को सामान्य बनाने के प्रयासों का जमीनी स्तर पर अनुभव कर सकें.

मंत्रालय ने उन आलोचनाओं को बेबुनियाद बताया कि यह प्रायोजित था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि राजनयिक एक समूह में कश्मीर जाना चाहते थे, ऐसे में 15 विदेशी राजनयिकों को भेजने की व्यवस्था की गई.

उन्होंने कहा कि कश्मीर की यात्रा के लिये ऐसा ही एक आयोजन भविष्य में यूरोपीय संघ के राजनयिकों के संदर्भ में हो सकती है. जम्मू कश्मीर जाने वाले 15 विदेशी राजनयिकों में भारत में अमेरकिा के राजदूत केनेथ जस्टर भी शामिल हैं. इसमें दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नार्वे, फिलिपीन, मोरक्को, अर्जेटिना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गुयाना और टोगो के राजनयिक शामिल हैं.

पिछले अगस्त में जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने तथा विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की वहां की यह पहली यात्रा है. कुमार ने कहा कि विदेशी राजनयिकों ने इस यात्रा के दौरान सुरक्षा अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं, नागरिक संस्थाओं और स्थानीय मीडिया से मुलाकात की.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए मौजूदा स्थिति का जमीनी अनुभव के लिये राजनयिकों का दौरा आयोजित किया गया. यह पूछने पर कि राजनयिकों से किन राजनीतिक नेताओं ने मुलाकात की, प्रवक्ता ने कहा कि राजनयिकों का कश्मीर दौरा अभी पूरा नहीं हुआ है.

मंत्रालय ने बताया कि राजनयिकों ने जम्मू कश्मीर के विभिन्न वर्गों एवं नागरिक समाज के लोगों से बात की. शुक्रवार को दिल्ली लौटने से पहले समूह जम्मू में और बैठकें करेगा.

* जम्मू-कश्मीर में ‘गाइडेड टूर’ बंद हो : कांग्रेस

कांग्रेस ने कई प्रमुख देशों के राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘गाइडेड टूर’ बंद होना चाहिए और केंद्रशासित प्रदेश में सार्थक राजनीतिक गतिविधि आरंभ करनी चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, हमारी आपत्ति राजनयिकों के इस दौरे के विषय में नहीं है. हमारी आपत्ति यह है कि जब हमारे नेता और सांसद जम्मू-कश्मीर में नहीं जा सकते तो फिर दूसरे देशों के राजदूतों को ले जाने का क्या मतलब है.

उन्होंने कहा, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को जम्मू-कश्मीर जाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाना पड़ता है. जब संसदीय प्रतिनिधिमंडल नहीं जा सकता, विपक्ष के नेता नहीं जा सकते, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नहीं जा सकते तो ऐसे में दूसरे देशों के राजनयिकों को वहां ले जाया गया है. ये बिल्कुल दोहरे मापदंड हैं.

रमेश ने कहा, जल्द से जल्द से वहां लोगों को जाने दिया जाए. आने-जाने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए. गाइडेड टूर बंद होना चाहिए. सरकार से हमारी मांग है कि जल्द से जल्द सार्थक राजनीतिक आरंभ हो. राजनीतिक पर्यटन नहीं हो.

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