JNU कैंपस में हमला सरकार प्रायोजित, VC इसके मास्टरमाइंड : कांग्रेस कमेटी
नयी दिल्ली : जेएनयू में हुए हमले को लेकर कांग्रेस द्वारा बनायी गयी एक तथ्यान्वेषी समिति ने रविवार को आरोप लगाया कि कुलपति एम जगदीश कुमार इसके ‘मास्टरमाइंड’ थे. समिति ने कुलपति को तत्काल हटाने और उनके खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने की मांग की. समिति की सदस्य सुष्मिता देव ने कहा कि नकाबपोशों द्वारा […]
नयी दिल्ली : जेएनयू में हुए हमले को लेकर कांग्रेस द्वारा बनायी गयी एक तथ्यान्वेषी समिति ने रविवार को आरोप लगाया कि कुलपति एम जगदीश कुमार इसके ‘मास्टरमाइंड’ थे. समिति ने कुलपति को तत्काल हटाने और उनके खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने की मांग की.
समिति की सदस्य सुष्मिता देव ने कहा कि नकाबपोशों द्वारा पांच जनवरी को विश्वविद्यालय में हुआ हमला ‘सरकार प्रायोजित’ था. समिति ने तत्काल कुमार को हटाने की मांग की और कहा कि संकाय में सारी नियुक्तियों की तुरंत छानबीन होनी चाहिए और स्वतंत्र जांच करवाने की जरूरत है. कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हमले की विस्तृत जांच करवाने के लिए चार सदस्यीय तथ्यान्वेषी समिति बनायी थी. महिला कांग्रेस प्रमुख ने कहा, कुलपति, विश्वविद्यालय में सुरक्षा मुहैया करानी वाली एजेंसी और संकाय के उन सदस्यों के खिलाफ जांच होनी चाहिए जिन्होंने साबरमती, पेरियार छात्रावास और अन्य स्थानों पर हमला करने के लिए साथ मिलकर षडयंत्र रचा. सुरक्षा मुहैया कराने वाली कंपनी की संविदा तत्काल खत्म होनी चाहिए.
घटना के लिए कुमार को मास्टरमाइंड बताते हुए देव ने कहा कि 2016 में अपनी नियुक्ति के बाद उन्होंने संकाय में तैनात अयोग्य लोगों को अपने साथ कर लिया और केवल ऐसे लोगों को आगे बढ़ाया जो उनके और दक्षिणपंथी विचारधारा के प्रति झुकाव रखते थे. उन्होंने कैंपस में अराजकता पैदा करने के लिए संकाय के इन सदस्यों का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि परिसर का संकट उनके कुशासन और निरंकुशता से और गहरा गया. उन्होंने उचित प्रक्रिया अपनाये बिना जबरन अपना निर्णय विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों पर थोपा और चुने गये छात्र और अध्यापक प्रतिनिधियों के साथ संवाद करने से इनकार कर दिया. इस वजह से गतिरोध उत्पन्न हुआ.
देव ने कहा, यह स्पष्ट है कि जेएनयू परिसर पर हमला सरकार प्रायोजित है. इसमें कोई संदेह नहीं है. महत्वपूर्ण सवाल है कि हमला रोकने के लिए प्रशासन और दिल्ली पुलिस ने क्या किया. समिति ने पांच जनवरी को हुई घटनाओं की स्वतंत्र न्यायिक जांच करवाने सहित अन्य सिफारिशें की है. समिति ने कहा कि दिल्ली पुलिस के आयुक्त और अन्य पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए क्योंकि छात्रों और संकाय सदस्यों की आपात कॉल के बावजूद पुलिस कदम उठाने में नाकाम रही और प्रथमदृष्टया पाये गये सबूतों के मद्देनजर उन्होंने कैंपस में आपराधिक तत्वों को आगे बढ़ाया.
उन्होंने जेएनयू में फीस वृद्धि को पूरी तरह से वापस लिये जाने की मांग की. उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लागू शुल्क वृद्धि को तत्काल वापस लिये जाने और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) को निर्वाचित निकाय के तौर पर मान्यता दिये जाने की जरूरत है ताकि शुल्क वृद्धि और अन्य मुद्दों पर प्रशासन और छात्रों के बीच समुचित विचार-विमर्श हो सके. उन्होंने कहा कि यह मानने के कई कारण हैं कि कैंपस में छात्रों और शिक्षकों पर जिस भीड़ ने हमला किया, वह दक्षिणपंथी धड़े की थी. उन्होंने कहा, यह प्रदर्शित करने के समुचित सबूत हैं कि साबरमती छात्रावास और पास में साबरमती टी प्वाइंट पर पांच जनवरी को जिन लोगों पर हमला हुआ उनका कैंपस में दक्षिण पंथी राजनीति से कोई संबंध नहीं था. असल में हमलावरों ने साबरमती छात्रावास इलाके में दक्षिणपंथी छात्रों और संकाय सदस्यों को छुआ ही नहीं.
देव ने कहा, छात्रावास के भीतर घुसने वाली भीड़ ने खास धर्म के लोगों को भी निशाना बनाया और एबीवीपी के परिचित कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया. उन्होंने कहा, मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह हमला पूर्व नियोजित, सोचा समझा और आपराधिक साजिश था. उन्होंने कहा, जांच की गंभीरता भी सवालों के घेरे में है जहां छात्रों और संकाय सदस्यों के सिर पर गंभीर चोटों के बावजूद हत्या की कोशिश का एक भी मामला तक दर्ज नहीं हुआ है. छात्रों के मुताबिक जिस छात्रावास पर हमला हुआ वहां फॉरेंसिक टीम करीब 40 घंटे बाद पहुंची. इस समिति में अन्य सदस्य सांसद एवं एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष हिबी ईडन, सांसद एवं जेएनयू एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष सैय्यद नसीर हुसैन और एनएसयूआई की पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष अमृता धवन शामिल थीं.
जेएनयू में पांच जनवरी को नकाबपोश कुछ लोगों ने लाठियों और लोहों की छड़ों से विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों पर हमला कर दिया था और विश्वविद्यालय की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था. घटना में कई लोग घायल हो गये थे. विश्वविद्यालय में वामपंथी संगठन और आरएसएस संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिंसा को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.